नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बृहस्पतिवार को जर्मनी को यूरोपीय संघ में भारत के सबसे महत्वपूर्ण मित्रों में से एक बताते हुए कहा कि भारत एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए जर्मनी के साथ काम करने को लेकर आशान्वित है।
श्रृंगला ने कहा कि कोविड के बाद वैश्विक व्यवस्था को समान विचारों वाले देशों के इस दिशा में समन्वित प्रयासों की जरूरत होगी कि बहुपक्षवाद के सिद्धांतों तथा नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का सभी सम्मान करें।
वह भारत और जर्मनी के बीच कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत के 70 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल जर्मनी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी करने वाला यूरोपीय संघ का दूसरा देश बन गया जिसका हम स्वागत करते हैं। हम एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अपने साझा दृष्टिकोण पर जर्मनी के साथ मिलकर काम करने को आशान्वित हैं।’’
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी के मद्देनजर क्षेत्र में उभरती परिस्थितियां दुनिया की अग्रणी महाशक्तियों के बीच चर्चा का प्रमुख बिंदु बन गयी हैं। अनेक देश पहले ही क्षेत्र के लिए अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत कर चुके हैं।
श्रृंगला ने अपने बयान में कहा कि भारत और जर्मनी को अपनी रणनीतिक साझेदारी का स्तर और गुणवत्ता बढ़ानी चाहिए क्योंकि दोनों के पास विशेष ताकत है जिसे दुनिया में भलाई के लिए एक शक्ति के रूप में जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2000 में स्थापित भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी हर समय विस्तार लेते व्यापार और निवेश संबंधों से शक्ति प्राप्त करती है।’’
श्रृंगला ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में दोनों देशों के बीच सहयोग का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘इन संबंधों का हालिया महत्वपूर्ण संकेतक कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान तथा स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों व उपकरणों की आपूर्ति के लिए दोनों देशों के बीच विस्तृत सहयोग रहा है।’’
उन्होंने कहा कि संकट के शुरुआती दिनों में भारत ने जर्मनी को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और अन्य दवाएं भेजी थीं।
श्रृंगला ने कहा, ‘‘उसके बाद भारत में महामारी की दूसरी लहर के दौरान जर्मनी ने स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों और आवश्यक दवाओं तथा कच्चे माल की भारत को आपूर्ति करने में अत्यावश्यक सहयोग प्रदान किया।’’
उन्होंने इसके लिए जर्मनी की सरकार और जनता का आभार व्यक्त किया।
विदेश सचिव ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान तथा उच्चतर एवं व्यावसायिक शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विस्तृत सहयोग ने भारत और जर्मनी के बीच छात्रों तथा पेशेवरों के आवागमन को भी विस्तार दिया है।
समारोह में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया।
भाषा वैभव नरेश
नरेश
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