न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण होंगे देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, 24 अप्रैल को लेंगे शपथ | Justice Nutalapati Venkat Raman to be sworn in as country's next Chief Justice on April 24

न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण होंगे देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, 24 अप्रैल को लेंगे शपथ

न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण होंगे देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, 24 अप्रैल को लेंगे शपथ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:49 PM IST, Published Date : April 6, 2021/9:06 am IST

नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण को मंगलवार को देश नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े के स्थान पर की गयी है जो 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, न्यायमूर्ति रमण 24 अप्रैल को भारत के 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर प्रभार संभालेंगे।

न्यायमू्र्ति रमण 26 अगस्त, 2022 तक देश के प्रधान न्यायाधीश रहेंगे।

अधिसूचना के मुताबिक, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति नूतलपति वेंकट रमण को 24 अप्रैल 2021 से भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करते हैं।”

सूत्रों ने बताया कि परंपरा के मुताबिक, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा और कानून मंत्रालय में सचिव (न्याय) बरुण मित्रा ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर किया हुआ नियुक्ति पत्र आज सुबह न्यायमूर्ति रमण को सौंपा।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बोबडे ने उनके बाद पद संभालने के लिए न्यायमूर्ति रमण के नाम की परंपरा और वरिष्ठता क्रम के अनुरूप हाल ही में अनुशंसा की थी।

सीजेआई की ओर से केंद्र सरकार को अनुशंसा उस दिन की गई थी जब उच्चतम न्यायालय ने न्यायमूर्ति रमण के खिलाफ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी की शिकायत पर ‘‘उचित तरीके से विचार” करने के बाद खारिज करने के फैसले को सार्वजनिक किया था।

नियम के मुताबिक, मौजूदा प्रधान न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले एक लिखित पत्र भेजा जाता है।

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में 27 अगस्त, 1957 को जन्मे, न्यायमूर्ति रमण 10 फरवरी, 1983 में अधिवक्ता के रूप में नामांकित किए गए थे।

उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया और वहह 10 मार्च, 2013 से 20 मई,2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यरत रहे।

उन्हें दो सितंबर, 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया और 17 फरवरी, 2014 को उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

न्यायमूर्ति रमण ने शीर्ष अदालत में कई हाई-प्रोफाइल मामलों को सुना है।

न्यायमूर्ति रमण की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेजने से पिछले साल मार्च में इनकार कर दिया था।

वह पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने नवंबर 2019 में कहा था कि सीजेआई का पद सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण है।

नवंबर 2019 के फैसले में, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि “जनहित” में सूचनाओं को उजागर करते हुए “न्यायिक स्वतंत्रता को भी दिमाग में रखना होगा।”

एक अन्य महत्त्वपूर्ण फैसले में, न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल जनवरी में फैसला दिया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और इंटरनेट पर कारोबार करना संविधान के तहत संरक्षित है और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को प्रतिबंध के आदेशों की तत्काल समीक्षा करने का निर्देश दिया था।

वह शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा रहे हैं जिसने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था।

नवंबर 2019 में, उनकी अगुवाई वाली पीठ ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सदन में बहुमत साबित करने के लिए शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था।

न्यायमूर्ति रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका पर भी सुनवाई की थी जिसमें पूर्व एवं मौजूदा विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के निस्तारण में बहुत देरी का मुद्दा उठाया गया था।

भाषा

नेहा अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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