आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखते हुए क्रिसिल ने जीडीपी गिरावट का अनुमान कम किया | Krysil lowers GDP decline projection in view of boom in economic activity

आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखते हुए क्रिसिल ने जीडीपी गिरावट का अनुमान कम किया

आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखते हुए क्रिसिल ने जीडीपी गिरावट का अनुमान कम किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : December 14, 2020/3:38 pm IST

मुंबई, 14 दिसंबर (भाषा) रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से अधिक तेजी देखते हुए सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट के अनुमान को कम कर 7.7 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले, एजेंसी ने 9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था।

क्रिसिल ने आर्थिक वृद्धि के रास्ते में निम्न सरकारी व्यय को रोड़ा बताया है।

स्टैन्डर्ड एंड पुअर्स (एस एण्ड पी) की इकाई ने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को कम करने के कारण दूसरी तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से आर्थिक गतिविधियों के पटरी पर आना और त्योहारों के दौरान इसका जारी रहना है।

क्रिसिल ने कहा कि महामारी के कारण जीडीपी में गिरावट आयी है। इससे जीडीपी के संदर्भ में स्थायी तौर पर 12 प्रतिशत नुकसान होगा।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने 2020-21 के लिये आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को संशोधित कर 7.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में उसने 9.5 प्रतिशत गिरावट की आशंका जतायी थी। अन्य विश्लेषकों ने भी आर्थिक गतिविधियों के तेजी से पटरी पर आने को देखते हुए वृद्धि दर में गिरावट के पहले के अनुमान को संशोधित किया है।

रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘दूसरी तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से पुनरूद्धार और त्योहारों के दौरान इसका जारी रहना संशोधन का कारण है। इसके अलावा कोविड-19 मामलों में कमी भी इसकी एक वजह है।’’

हालांकि, क्रिसिल ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिये अपर्याप्त राजकोषीय खर्च एक रोड़ा बना हुआ है। कोविड-19 मामलों के फिर से बढ़ने, टीके की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता तथा दुनिया के कई देशों में संक्रमण के मामलों के बढ़ने के कारण वैश्विक आर्थिक पुनरूद्धार को लेकर आशंका है। इसको देखते हुए सतर्क रुख रहने की जरूरत है।

एजेंसी के अनुसार हालांकि, अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 10 प्रतिशत रह सकती है। इसका कारण पिछले वित्त वर्ष में कमजोर तुलनात्मक आधार है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

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