फास्टैग को अनिवार्य करने से आवागमन की आजादी के मूल अधिकार का हनन नहीं होता:केंद्र | Making FASTAG mandatory does not violate the fundamental right to freedom of movement: Centre

फास्टैग को अनिवार्य करने से आवागमन की आजादी के मूल अधिकार का हनन नहीं होता:केंद्र

फास्टैग को अनिवार्य करने से आवागमन की आजादी के मूल अधिकार का हनन नहीं होता:केंद्र

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : April 14, 2021/11:17 am IST

मुंबई, 14 अप्रैल (भाषा) केंद्र सरकार ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर परिचालित होने वाले सभी वाहनों के लिए ‘फास्टैग’ अनिवार्य करना नागरिकों के आवागमन की आजादी के मूल अधिकार का कहीं से भी हनन नहीं है।

यह एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन तकनीक है, जो नेशनल हाईवे के टोल प्लाजा पर काम करती है। टोल प्लाजा पर लगे सेंसर इसे स्कैन कर तय राशि अकाउंट से ले लेते हैं।

फास्टैग, एक इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली तकनीक है ,जिसका उपयोग राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर शुरू किया गया है। टोल प्लाजा पर लगे सेंसर इसे स्कैन कर निर्धारित शुल्क सीधे अकाउंट से प्राप्त करते हैं।

केंद्र ने एक जनहित याचिका के जवाब में पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया था। दरअसल, पीआईएल के जरिए फास्टैग (इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली चिप) को राष्ट्रीय राजमार्गों के टोल प्लाजा पर सभी वाहनों के लिए अनिवार्य किये जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई थी।

अर्जुन खानपुरे ने इस याचिका के जरिए फास्टैग नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने के सरकार के नियम को भी चुनौती दी थी।

हालांकि, केंद्र ने दलील दी कि यातायात को सुगम बनाने, यात्रा की अवधि घटाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। साथ ही, इससे जुड़े सभी फैसले केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के अनुरूप लिये गये हैं।

केंद्र ने हलफनामे में कहा, ‘‘फास्टैग का उपयोग करने का आदेश मुक्त रूप से आवागमन के किसी नागरिक के मूल अधिकार का हनन नहीं करता है। ’’

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ इस महीने के अंत में आगे की सुनवाई करेगी।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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