सफेद से भी ज्यादा सफेद पेंट लगाने से इमारतें होंगी कूल कूल | More white paint than white will make buildings cool

सफेद से भी ज्यादा सफेद पेंट लगाने से इमारतें होंगी कूल कूल

सफेद से भी ज्यादा सफेद पेंट लगाने से इमारतें होंगी कूल कूल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : June 8, 2021/11:42 am IST

एंड्रयू पार्नेल, शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय

शेफ़ील्ड (ब्रिटेन), आठ जून (द कन्वरसेशन) बर्फीले टुंड्रा से लेकर आसमान में घुमड़ते बादलों तक, हमारी दुनिया के रंगबिरंगे कैनवस पर सफेद रंग बार-बार उभरता है। यह रंग सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी की सतह से और अंतरिक्ष में वापस परावर्तित करने का एक प्राकृतिक तरीका प्रदान करता है। यह प्रभाव – जिसे ग्रह की सफेदी के रूप में जाना जाता है – का औसत वैश्विक तापमान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जो पूरी तरह से महासागरों से ढकी हो। यह विचार अपने आप में शीतलता पैदा करने वाला तो हो सकता है, लेकिन अगर वास्तव में ऐसा हुआ तो परावर्तक सफेद क्षेत्रों की अनुपस्थिति पृथ्वी की औसत सतह के तापमान को लगभग 30ºडिग्री सेल्सियस तक बढ़ा देगी: जो इसके वर्तमान औसत तापमान 15डिग्री सेल्सियस से दोगुना है।

हमारे ग्रह के बर्फ और हिम के आवरण कम होने के साथ-साथ मानवीय कारकों से जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप, सतह के तापमान में और वृद्धि हो रही है। सबसे खराब स्थिति वाली भविष्यवाणियों की बात मानें तो वह कहती हैं कि – यदि सीओ 2 उत्सर्जन 2050 तक नाटकीय रूप से कम नहीं होता है – वर्ष 2100 में औसत तापमान वर्तमान तापमान की तुलना में 1.5ºडिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है, यह पृथ्वी की कम परावर्तनशीलता का परिणाम है। हमारी दुनिया का रंग उसके भविष्य का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सेंटोरिनी, ग्रीस जैसे द्वीपों की प्रसिद्ध सफेद इमारतें केवल दिखावे के लिए नहीं हैं: मनुष्यों ने सैकड़ों वर्षों से इस ज्ञान का उपयोग किया है कि सफेद रंग गर्मी को सबसे अच्छा परावर्तित करते हैं। परंपरागत रूप से, एक प्रकार का सफेद पेंट जिसे जिप्सम कहा जाता है, जिसमें कैल्शियम सल्फेट (सीएएसओ4) होता है, का उपयोग ऐसी इमारतों पर किया जाता है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि बेरियम सल्फेट (बीएएसओ 4) युक्त एक वैकल्पिक पेंट इमारतों से टकराने वाले सौर विकिरण को वापस अंतरिक्ष में प्रतिबिंबित करने में और भी अधिक प्रभावी हो सकता है।

इस नए बेरियम सल्फेट-आधारित पेंट की प्रभावशीलता की कुंजी इसमें शामिल नैनोकण हैं जो अपेक्षाकृत उच्च दक्षता से और 0.008 मिमी-0.013 मिमी के विशिष्ट अवरक्त तरंग दैर्ध्य पर सूर्य की ऊर्जा को परावर्तित करते हैं। ये तरंग दैर्ध्य वातावरण के उस हिस्से से मेल खाते हैं जो अत्यधिक पारदर्शी है, जिसे ‘‘आकाश झरोखे’’ के रूप में जाना जाता है।

इसका मतलब है कि अधिक परावर्तित सौर ऊर्जा पृथ्वी के वायुमंडल में फंसे रहने और ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने की बजाय इस ‘‘झरोखे’’ के माध्यम से अंतरिक्ष में वापस जा सकती है। अध्ययन के लेखकों के अनुसार, जब बेरियम सल्फेट पेंट पर सौर विकिरण चमकता है, तो इन तरंग दैर्ध्य पर लगभग 10% विकिरण परिलक्षित होता है।

गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में इमारतों में इस प्रकार के पेंट को लगाने से इमारतों को ठंडा रखने में मदद मिलेगी – विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में यह एक बड़ी चुनौती है, जहां लोगों और इमारतों का घनत्व गर्मी के महीनों के दौरान तापमान को असहनीय ऊंचाई तक बढ़ा सकता है।

अध्ययन दर्शाता है कि कैसे बेरियम सल्फेट पेंट से इमारतों को पेंट करने से बाहरी हवा के तापमान की तुलना में इमारतों के अंदर के तापमान को 4.5º डिग्री सेल्सियस तक कम किया जा सकता है। इस तकनीक में एयर कंडीशनिंग पर निर्भरता कम करके इमारतों को ठंडा करने की लागत को काफी कम करने की क्षमता है।

हालाँकि, उजले से ज्यादा उजले रंग का एक गहरा पक्ष भी है। इस पेंट को बनाने में लगभग 60% तक इस्तेमाल होने वाले बेरियम सल्फाइट के उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए कच्चे बेराइट अयस्क की खुदाई करनी होगी। विशाल मात्रा में इसके उत्खनन के लिए जितनी ऊर्जा की जरूरत होगी, कार्बन अपने उतने ही विशाल निशान छोड़ेगा। और व्यापक रूप से इस पेंट के इस्तेमाल का मतलब होगा बेरियम के खनन में नाटकीय वृद्धि।

कुदरत के ठंडे टोटके

इमारतों की परावर्तनशीलता में सुधार करने के लिए क्या बेरियम सल्फाइट-आधारित पेंट सिर्फ एक तरीका है। मैंने पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक दुनिया में सफेद सतहों से लेकर सफेद जानवरों तक सफेद रंग पर शोध किया है। जानवरों के बाल, पंख और तितली के पंख विभिन्न उदाहरण प्रदान करते हैं कि प्रकृति एक संरचना के भीतर तापमान को कैसे नियंत्रित करती है। इन प्राकृतिक तकनीकों को अपनाने से हमारे शहरों को पर्यावरण की कीमत चुकाए बिना ठंडा रखने में मदद मिल सकती है।

लेपिडियोटा स्टिग्मा नामक एक बेहद सफेद झींगुर प्रजाति के पंख उनमें लगे नैनोस्ट्रक्चर की वजह से बहुत ही चमकदार सफेद दिखाई देते हैं, जो आने वाली रोशनी को बिखरने का काम बहुत अच्छे तरीके से करते हैं। इस प्राकृतिक प्रकाश-प्रकीर्णन प्रक्रिया का उपयोग और भी बेहतर पेंट डिजाइन करने के लिए किया जा सकता है। जब प्रकृति से प्रेरणा लेने की बात आती है, तो उसकी कोई सीमा नहीं।

द कन्वरसेशन एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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