नीति आयोग कर रहा है न्यायालय, एनजीटी के निर्णयों के ‘अनपेक्षित’ आर्थिक असर का अध्ययन | NITI Aayog is studying 'unintended' economic impact of court, NGT decisions

नीति आयोग कर रहा है न्यायालय, एनजीटी के निर्णयों के ‘अनपेक्षित’ आर्थिक असर का अध्ययन

नीति आयोग कर रहा है न्यायालय, एनजीटी के निर्णयों के ‘अनपेक्षित’ आर्थिक असर का अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : February 10, 2021/7:59 am IST

नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के चुनिंदा निर्णयों के ‘‘अनपेक्षित’’ आर्थिक असर का अध्ययन कर रहा है और इस बात की समीक्षा भी की जा रही है कि आदेश के पीछे बताए गए उद्देश्य पूरे हुए या नहीं।

एक परियोजना दस्तावेज के अनुसार जयपुर स्थित कट्स इंटरनेशनल को गोवा में मोपा हवाई अड्डे के निर्माण पर रोक लगाने, गोवा में लौह अयस्क खनन को रोकने और तमिलनाडु में स्टरलाइट कॉपर के तूतीकोरिन संयंत्र को बंद करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने के लिए कहा गया है।

इस बारे में नीति आयोग के प्रवक्ता को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला, वहीं कट्स इंटरनेशनल के निदेशक अमोल कुलकर्णी ने इसकी पुष्टि की।

कट्स इंटरनेशनल की प्रोजेक्ट विवरण दस्तावेज के अनुसार, ‘‘यह अध्ययन प्रमुख न्यायिक/ अर्ध न्यायिक निर्णयों के अनपेक्षित आर्थिक परिणामों की जांच करेगा और न्यायिक निर्णय के उद्देश्य की समीक्षा करेगा।’’

दस्तावेज के अनुसार आर्थिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए पांच मामलों का चयन किया गया है, जिनमें से तीन का फैसला उच्चतम न्यायालय ने किया और अन्य दो का एनजीटी ने।

दस्तावेज में कहा गया कि न्यायिक फैसलों के दूरगामी आर्थिक प्रभाव होते हैं जो अक्सर निर्णय लेने के समय पर ध्यान नहीं दिए जाते हैं। हाल में भारतीय उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण के कुछ निर्णयों से संकेत मिलता है कि न्यायिक निर्णयों का आर्थिक प्रभाव के विश्लेषण को व्यापक स्वीकृति मिलनी शेष है।

दस्तावेज में कहा गया है कि इस अध्ययन का उद्देश्य न्यायपालिका के निर्णयों के आर्थिक प्रभावों को बेहतर संवेदनशीलता के साथ उजागर करना है, ताकि न्यायिक अधिकारियों को एक उपयोगी सामग्री मिल सके।

दस्तावेज में कहा गया है कि हाल के दिनों में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं, जिनसे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा।

कुलकर्णी ने कहा कि नीति आयोग द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना की लागत 24.8 लाख रुपये थी और अध्ययन फरवरी 2020 में शुरू होना था, हालांकि कोविड-19 लॉकडाउन के चलते इसमें देरी हुई।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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