नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अर्थव्यवस्था की वृद्धि को समर्थन देने के लिये ब्याज दरों को जितना संभव होगा नरम और अनुकूल बनाये रखेगा। बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने यह कहा।
कोविड- 19 महामारी की दूसरी लहर का बैंक की गैर- निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) पर पड़ने वाले असर के बारे में एसबीआई चेयरमैन ने कहा कि यह लॉकडाउन पूरे भारत में नहीं लगा है। ऐसे में हमें बैंकिंग क्षेत्र पर इसके पड़ने वाले असर की कुछ समय प्रतीक्षा करनी होगी उसका आकलन करना होगा।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति सहित कई चीजें हैं जिनका ब्याज दर पर असर होता है। ‘‘हमारा प्रयास आर्थिक वृद्धि के प्रयासों को समर्थन देना है। यह सुनिश्चित करने के लिये जितना संभव हो सकेगा हम ब्याज दरों को नरम बनाये रखने का प्रयास करेंगे।’’
खारा ने पीटीआई- भाषा को दिये एक साक्षात्कार में पूछे गये सवाल पर कहा कि स्थानीय प्रतिबंधों के आधार पर बैंकों के एनपीए परिदृय को लेकर इस समय किसी भी तरह का आकलन किया जाना जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘अलग अलग राज्यों में लाकडाउन की स्थिति अलग है, ऐसे में हमें अर्थव्यवस्था और एनपीए की स्थिति को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से पहले कुछ और समय तक देखना और प्रतीक्षा करनी चाहिये।’’
कोरोना वायरस महामारी की मौजूदा परिस्थितियों के बीच बैंक द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में खारा ने कहा कि बैंक ने देश के कुछ अधिक प्रभावित राज्यों में कोविड- 19 मरीजों के लिये गहन चिकित्सा सुविधा (आईसीयू) वाले अस्थाई अस्पताल बनाने का फैसला किया है।
बैंक ने इस काम के लिये 30 करोड़ रुपये की राशि रखी है और वह आपात स्तर पर चिकित्सा सुविधायें स्थापित करने को लेकर कुछ गैर- सरकारी संस्थानों (एनजीओ) और अस्पताल प्रबंधन के साथ संपर्क में है।
उन्होंने कहा कि बेंक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में कोविड- 19 मरीजों के इलाज के लिये एक हजार बिस्तरों की व्यवसथा करना चाहता है। इनमें 50 बिस्तरे आईसीयू सुविधा के साथ होंगे।
खारा ने कहा कि स्टेट बैंक आक्सीजन सिलेंडर तथा दूसरी सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये भी अस्पतालों और एनजीओ के साथ गठबंधन कर रहा है। ‘‘हमने एक कार्ययोजना तैयार की हे। हमने 70 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है जिसमें कोविड- 19 से जुड़े पहलों के लिये 17 सर्किलों में 21 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि बैंक के कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये बैंक ने देशभर में कुछ अस्पतालों के साथ समझौता किया है ताकि बीमार पड़ने वाले बैंक के कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज की सुविधा मिल सके।
बेंक ने अपने कर्मचारियों और उनके आश्रितों के टीकाकरण का खर्च भी खुद उठाने का फैसला किया है। बैंक के कुल ढाई लाख कर्मचारियों में से अब तक 70 हजार कर्मचारियों का टीकाकरण हो चुका है।
भाषा
र महाबीर मनोहर
मनोहर
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