नयी दिल्ली/देहरादून, आठ फरवरी (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के बाढ़ प्रभावित चमोली और आसपास के इलाकों में जारी राहत अभियानों के बीच सोमवार को कहा कि पूरी घटना की व्यापक जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि इस समय सबसे पहली प्राथमिकता प्रभावित लोगों को भोजन और अन्य सहायता मुहैया कराना है।
रावत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि घटना ग्लेशियर के टूटने से हुई। मुख्य सचिव को वास्तविक कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार करीब 200 लोग अब भी लापता हैं जबकि 11 शव बरामद कर लिये गए हैं।
उन्होंने कहा, ”डीआरडीओ की एक टीम इस त्रासदी का कारण पता लगाने में जुटी है। हमने इसके लिये इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से भी मदद मांगी है।”
रावत ने कहा कि इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिये चल रहे व्यापक विश्लेषण के बाद, ”हम भविष्य में ऐसी किसी भी संभावित त्रासदी से बचने के लिये एक योजना बनाएंगे।”
राहत कार्यों के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि वे पूरी शिद्दत से चल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ”हमने बचाव और राहत अभियान के लिये सभी आवश्यक प्रबंध किये हैं। साथ ही साथ प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण, हम प्रभावित गांवों के बीच दोबारा संपर्क स्थापित करने का काम कर रहे हैं।”
रावत ने कहा कि जल्द ही आर्थिक नुकसान का आकलन किया जाएगा। फिलहाल शीर्ष प्राथमिकता, जहां तक संभव हो लोगों की जान बचाना और अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों का पुनर्वास करना है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक भाग टूट गया था जिससे अलकनंदा नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। घटना के एक दिन बाद सोमवार को कई एजेंसियां संयुक्त रूप से पीड़ितों की तलाश में जुटी हैं।
भाषा
जोहेब नरेश
नरेश
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