नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) आईआईटी खगड़पुर के छात्र महेश शिरोले को छह साल के संघर्ष के बाद संस्थान से पीएचडी की डिग्री मिल गई है। जनवरी 2015 से डॉक्टरेट की उनकी थीसिस को बार-बार खारिज किया जा रहा था। यह जानकारी उनके पर्यवेक्षक ने दी है।
शिरोले और प्रोफेसर राजीव कुमार ने पीएचडी की डिग्री देने से मना करने को लेकर राष्ट्रपति समेत विभिन्न प्राधिकारियों का रुख किया था।
राष्ट्रपति अन्य केंद्रीय संस्थान समेत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर के ‘विज़िटर’ हैं।
शिरोले के पर्यवेक्षक कुमार ने कहा, ‘ मुझे खुशी है कि आईआईटी खड़गपुर और शिक्षा मंत्रालय के साथ छह साल की लड़ाई के बाद महेश शिरोले को पीएचडी की डिग्री मिल गई है।’
कुमार अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफेसर हैं।
कुमार आईआईटी खड़गपुर में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व प्रोफेसर हैं। शिरोले को विजिटर के हस्तक्षेप और संबंधित शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर डिग्री मिल सकी।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘ कभी नहीं से देर से मिलना ही बेहतर है।’
शिरोले को संस्थान के 66वें दीक्षांत समारोह में पीएचडी की डिग्री दी गई। यह समारोह पिछले हफ्ते मंगलवार को डिजिटल माध्यम से आयोजित हुआ था जिसमें मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे।
कुमार ने दावा किया कि संस्थान के उनके प्रति ‘प्रतिशोधात्मक रवैये’ कारण शिरोले की थीसिस खारिज की जा रही थी।
उन्होंने कहा था, ‘ मैंने 2006 के बाद से आईआईटी में दाखिले को लेकर मनमानी और अनियमितताओं का खुलासा किया था और आईआईटी प्रवेश और शैक्षणिक प्रक्रियाओं में सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस वजह से आईआईटी खड़गपुर का मेरे प्रति प्रतिशोधात्मक रवैया है।’
भाषा
नोमान पवनेश
पवनेश
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