नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) सरकार ने अगरबत्ती उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये इसमें शामिल कारीगरों को भी दस्तकारों की मदद के लिए घोषित योजना का लाभ प्रदान किया है। एक आधिकारिक बयान में रविवार को इसकी जानकारी दी गयी।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) मंत्रालय ने हाल ही में देश के विभिन्न हिस्सों में बेरोजगार और प्रवासी श्रमिकों के लिये रोजगार सृजित करने, कारीगरों को सहारा देने और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का समर्थन करने की दिशा में ‘खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन’ को मंजूरी दी थी।
बयान में कहा गया, ‘‘मंत्रालय ने 30 जुलाई 2020 को कार्यक्रम की शुरुआत के साथ ही अगरबत्ती बनाने वाली मशीनों की आपूर्ति के अलावा उद्योग जगत के सभी पहलुओं पर गौर किया। इसमें कच्चे मालकी आपूर्ति सुनिश्चित करना भी शामिल है। पिछले एक साल में अगरबत्तियों की मांग बहुत बढ़ गयी है।’’
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उल्लेखनीय है कि देश में अगरबत्ती की मौजूदा दैनिक खपत 1,490 टन है। हालांकि देश में इनका दैनिक उत्पादन महज 760 टन है। आपूर्ति की इस की की भरपाई मुख्य तौर पर चीन और वियतनाम से आयात के जरिये की जाती है।
एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि अगरबत्ती क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये कार्यक्रम का आकार बढ़ाकर 55 करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है। इसमें करीब 1,500 कारीगरों को करीब 3.45 करोड़ रुपये की तत्काल मदद और 2.20 करोड़ रुपये की लागत से दो उत्कृष्टता केंद्रों का विकास शामिल है।
पहले यह कार्यक्रम 2.66 करोड़ रुपये का था और करीब 500 कारीगरों की मदद करने की योजना थी।
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दो उत्कृष्टता केंद्र आईआईटी/एनआईटी और कन्नौज में स्थित सुगंध एवं स्वाद विकास केंद्र में विकसित किये जायेंगे। इसके अलावा करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से 10 नये स्फूर्ति क्लस्टर भी तैयार किये जायेंगे, जिनसे करीब पांच हजार अतिरिक्त कारीगरों को लाभ होगा।
नये दिशानिर्देश चार सितंबर को जारी किये गये। मंत्रालय के अनुसार, ये परियोजनाएं अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा देंगी।
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14 hours ago