रायपुर। छत्तीसगढ़ में संविलियन की मांग को लेकर अड़े शिक्षाकर्मी राज्य शासन के हर दांव का तोड़ निकाल रहे हैं। डाइंग कैडर के कारण संविलिनय में दिक्कत को की दलील को खारिज किया जा रहा है। तर्क दिए जा रहे हैं कि अगर डाइंग कैडर है तो नए स्कूलों में सेटअप कैसे बनाए जा रहे हैं और रिटायर होने वाले पदों पर पदोन्नति किस आधार पर हो रही है। शिक्षाकर्मियों का मानना है कि संविलियन को लटकाने के लिए इसे हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है। शिक्षाकर्मी संघ के वीरेन्द्र दुबे और जितेन्द्र शर्मा का कहना है कि इस बार हम अपना संविलियन का हक लेकर रहेंगे और संविलियन तक लड़ाई जारी रहेगी।
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संघ का कहना है कि शिक्षक का पद कभी डाइंग कैडर में रहा ही नहीं। केवल सीधी भर्ती पर रोक लगी थी। स्कूलों के सेटअप में आज भी नियमित शिक्षकों के पद सृजित हैं और लगातार नियमित शिक्षकों का उन पदों पर प्रमोशन हो रहा है। इसलिए मूल पदों पर संविलियन देने में कुछ भी अड़चन नहीं।
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प्रांतीय उपसंचालक धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिक्षाकर्मी 11 मई महापंचायत में आने की तैयारी कर चुका है। एक बार फिर संविलियन के नारों की गूंज रहेगी
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उल्लेखनीय है कि कोई पद डाइंग कैडर में आता है तो वह उस पद पर कार्य कर रहे व्यक्ति के रिटायर होने के बाद पद स्वमेव समाप्त माना जाता है। उस पद पर फिर किसी की भर्ती नहीं होती है।
वेब डेस्क, IBC24
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