बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार ने अबतक डेढ़ सौ से ज्यादा बच्चों की जान ले ली है, लेकिन अभी इस बीमारी के महामारी में बलदने के कारणों का पता लगाने में केन्द्र और राज्य सरकारें नाकाम रही हैं।
सच्चाई तो ये है कि मासूमों पर कहर बनकर टूटी इस बीमारी की सुध लेने में सरकार ने इतनी देरी की कि कई घऱों में मातम छा गया। शायद बिहार सरकार और केन्द्र सरकार के कानों में उन मासूमों की मांओं की चीखें भी नहीं पहुंची, इसलिए सरकार हल निकालने के बजाय हाथ में हाथ धरे बैठी रही
इस बीमारी की असल वजह का पता लगाने में बिहार सरकार के हाथ पैर फूल चुके हैं और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास अभी तक इस बीमारी के महामारी का रूप लेने के संबंध में कोई ठोस रिपोर्ट नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को एक सप्ताह बाद इसकी भयावहता का अहसास हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने चमकी बुखार से बच्चों की हुई मौत को गंभीरता से लिया है और बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को 7 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है, जिसमें एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता से संबंधित सुविधाओं का सीलबंद लिफाफे में पूरा विवरण मांगा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले दिनों बिहार के चमकी बुखार की चर्चा हुई है। आधुनिक युग में ऐसी स्थिति हम सभी के लिए दु:खद और शर्मिंदगी की बात है। इस दु:खद स्थिति में हम राज्य के साथ मिलकर मदद पहुंचा रहे हैं। ऐसी संकट की घड़ी में हमें मिलकर लोगों को बचाना होगा
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