देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले भारत मां के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद को आज के दिन 27 फरवरी 1931 को शहादत मिली थी. वीर क्रांतिकारी और अंग्रेज की बीच मुठभेड़ हुई थी, वीर आजाद के हौसलों से अंग्रेज पस्त थे. आजाद ने अंग्रेजों के सामने सरेंडर नहीं करने की ठानी थी और गिरफ्तारी से बचने के लिए आज़ाद ने पिस्तौल पर बची आखिरी गोली खुद पर उतार ली थी. आजाद ने प्रण लिया था कि ‘जीते-जी मेरे शरीर को अंग्रेजों के हाथ नहीं लगने दूंगा.
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जाने ‘आजाद’ से जुड़ी बातें
देश की आजादी का प्रण आजाद ने पढ़ाई के दौरान ही ले लिया था. संस्कृत की पढ़ाई करने गए बनारस में चंद्रशेखर का मन आजाद नहीं था. उनका मन उनकी सोच तो गांधीजी के आंदोलन पर लगा रहता था.
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1921 में असहयोग अंदोलन का फरमान जारी होते ही आजाद कई छात्रों के साथ सड़कों पर उतर आए. इस दौरान आजाद कई छात्रों के साथ गिरफ्तार हुए.
“हुंकार भरी जब उसने इन्कलाब के नारों से,
दुश्मन काँप उठे “आज़ाद” के आज़ाद विचारों से”
भारत माता के सपूत, अमर शहीद श्री चंद्रशेखर आज़ाद जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। pic.twitter.com/Lylx8bvTnZ— Dr Raman Singh (@drramansingh) February 27, 2018
चंद्रशेखर आजाद की काकोरी कांड में अहम भूमिका थी. रामप्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद ने साथी कांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश खजाना लूटने और हथियार खरीदने के ट्रेन डकैती को अंजाम दिया था. देश के इस वीर सपूत को उनके पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई
वेब डेस्क, IBC24
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