छत्तीसगढ़ी सिनेमा: भाव के अभिव्यक्ति, भावना के सिरजन | Chhattisgarhi Cinema: Expressions of Emotion

छत्तीसगढ़ी सिनेमा: भाव के अभिव्यक्ति, भावना के सिरजन

छत्तीसगढ़ी सिनेमा: भाव के अभिव्यक्ति, भावना के सिरजन

:   Modified Date:  December 3, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : December 3, 2022/8:46 pm IST

रायपुर। प्रारंभ ले छत्तीसगढ़ ह कला संस्कृति अऊ परंपरा के कलगी माथ म खोंचे चलत हे, कलापूत दाऊ मंदराजी ले नाचा के जन्म के बाद छत्तीसगढ़ म नाचा ह मनोरंजन के संग जनमानस म जागरुकता अऊ सामाजिक बुराई ल चोट करे के शसक्त माध्यम बनिस…दाऊ रामचंद्र देशमुख ये धरोहर ल आगु बढ़ाईन नवा जमाना म दाऊ खुमान साव अपन संगीत के घून म कला के अंजोर ल बगराइन, छत्तीसगढ़िया माटी के महक ल कलाशिर्ष हबीब तनवीर प्रदेस के सीमा ले बाहिर लेय के गिन अऊ उदय होइस नवा थियेटर के संग नवा छत्तीसगढ़ के, समयचक्र के संग प्रदेस के माटी ले उपजे, बाढ़े इहां के कलाकार मन नवरुप होवत संसार के संग पग धरिन अऊ मनु नायक ह पहिली छत्तीसगढ़ी फिल्म कहि देबे संदेश (1965) ले प्रदेस के कला संसार ल कथन के संग सिरजन के नवा मंच म लेय गिन, बड़े परदा म अपन भाखा ल सुन अऊ अपने जीनगी के चित्रण देख छत्तीसगढ़िया जनमानस म बदलाव के शुरूआत होइस अऊ उदय होइस छत्तीसगढ़ प्रदेस के, बछर 2000 छत्तीसगढ़िया मन के मुड़ म पागा बंधागे, इही बेरा सतीश जैन के मोर छइंहा भुइंया ले नवा छत्तीसगढ़ के दुख, सोसन के पीरा एक छाती ले दूसर छाती म महसूस करे गिस अऊ छत्तीसगढ़ के सिनेमा भावपूर्न होगे।

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फिल्म इतिहास म छत्तीसगढ़ वो चमकत हीरा आए जउन अपन मेहनत अऊ जुझारू प्रवृत्ति के उदाहरन बनगे, नानकुन प्रदेस अपन भाखा म अपन सिनेमा के सिरजनहार हे, इहां हर बछर 20 ले 30 फिल्म के निरमान होत हे, छोटे से बाजार म छोटे लागत अऊ बड़े मेहनत के दम म इहां के फिल्मकार अपन इच्छाशक्ति ले आगु बाढ़त हें।

बीते दस बछर म छत्तीसगढ़ सिनेमा विकास के कई पग बांधे हे, नवा नवा कलाकार मन नवा चुनौती के बढ़ चढ़ के सामना करे हें अऊ सार्थक सिनेमा के निरमान म अपन महती योगदान दे हे।

अइसने ही बछर 2006 म एक युवक मुंबई ले लहुटके अपन माटी के कहिनी ल अपन भाखा म सिरजाए के सपना ल सउंहत करिस, फिल्म-बैर (2008) म बनाके छत्तीसगढ़ के परंपरा अऊ प्रतिमान ल स्थापित करे के रद्दा म एकठो पथरा राखिस अऊ शुरूआत होगे छत्तीसगढ़ी फिल्म म नवाचार के, इही क्रम म निर्देशक मनोज वर्मा के भूलन सार्थक सिनेमा के क्रम म जोरदार प्रयास साबित होइस, ये फिल्म कई अंतर्रास्ट्रीय, रास्ट्रीय सम्मान पाके छत्तीसगढ़िया मन के माथ ल उंचा दिस, छत्तीसगढ़ के माटी ल बड़ नजिक ले जानने वाला निर्देशक प्रेम चंद्राकर के फिल्म प्रदेस के जनमानस ल भाव अऊ भावना के सागर म बूड़ो दिस, फिल्म- लोरिक-चंदा इंखर अइसे कृति जउन प्रादेसिक प्रेम कहानी ल जन मानस के बीच चित्र रुप करिन।

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आज छत्तीसगढ़िया सिेनेमा कोनो पहिचान के आकांक्षी नइ रहीगे, हमर प्रदेस आने प्रादेशिक फिल्म मन बर घलो सर्वसुलभ ठीहा बनके उभरे हे, बीते कुछेक बछर म निरहुआ प्रोड्क्शन के कई फिल्म छत्तीसगढ़ म चित्रित होए हे, प्रदेस के शीर्ष निर्देशक- सतीश जैन के निर्देशन म भोजपुरी सिनेमा ल छत्तीसगढ़ म थाह मिलिस अऊ दुनो प्रदेस के बीच फिल्म के माध्यम ले कला-संस्कृति के गठबंधन होगे, आज जतके प्रसिद्धि छत्तीसगढ़ के सिनेमा अपन प्रदेस म पाथे ओतके तिरतार के अपन परोसी राज्य मन म घलो हमर सिनेमा अऊ कलाकार मन के मांग हे, भोजपुरी सिनेमा के सितारा संजय महानंद येकर उज्जर उदाहरन आए जउन आज कई भासा के सिनेमा म अपन पहिचान के संग छत्तीसगढ़ के मान बढ़ावत हें।

लोरमी म बने हिंदी फिल्म चमन बहार, प्रदेस के युवा कलाकार मन के मंजे हुए काम के बानगी आए ऊहें अभी बहुतो कलाकार अपन माटी ले मुंबई मायानगरी तक के सफल सफर करत हें, ये क्रम म चाहे इहां के लेखक होए, अभिनेता या फेर संगीतकार छत्तीसगढ़ के मान उन सब सिनेमा जगत म बगरात हें।
आज के युवा, सिनेमा ल अभिव्यक्ति के माध्य के रुप म बड़े से बड़े विषय ल चुनौती देहे बर नइ डर्राथें, चाहे वो प्रदेस के माटी म नक्सल के रार होए या फेर इहां के कोनो दुखिया जीव ल न्याय बर अभियान होए।

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आज छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म ओखर जस गान के रुप राज्य गीत के बोल, अरपा पैरी के धार…महानदी के अपार के भाव स्वरुप हमर संस्कृति के थाह घलो अपरंपार हे, हमर माटी म हर जीव कलाकार हे, इहां के जल, जंगल, जमीन, नदिया नरवा अऊ आदिम जीवनशैली के शिल्प हमर धरोहर बनके आगु के पीढ़ी मन ल हस्तांतरित होत हे ये क्रम म हमर प्रादेसिक सिनेमा अपन महती जिम्मेदारी के संग प्रदेस के जनमानस ल मनोरंजन के संग अपन पेनपुरखा मन के धरोहर ल नवा रुप अऊ नवा रुपरेखा के संग सजाए के उदिम करत हें।

गजेंद्ररथ वर्मा, ‘गर्व’
लेखक छत्तीसगढ़ फिल्म एसोसिएशन के प्रवक्ता आए।

 
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