माता मावली मेला का समापन, लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ाने में सरकार की अहम भूमिका : मंत्री कवासी लखमा | Closing of Mata Mavali Mela Important role of government in advancing folk-culture: Minister Kawasi Lakhma

माता मावली मेला का समापन, लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ाने में सरकार की अहम भूमिका : मंत्री कवासी लखमा

माता मावली मेला का समापन, लोककला-संस्कृति को आगे बढ़ाने में सरकार की अहम भूमिका : मंत्री कवासी लखमा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : March 14, 2021/10:27 am IST

नारायणपुर । बस्तर की कला, संस्कृति और बस्तर को अब लोग जानने-पहचानने लगे हैं। लोग अब अबूझमाड़ को यहां की गौरवषाली परम्परा के नाम से जानने लगे हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है। बस्तर अंचल में मड़ई-मेले को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, मैं पहले से ही माता मावली की धरा पर आयोजित होने वाले मेले में शामिल होता रहा हूं। उक्त बातें वाणिज्यक कर, आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने माता मावली मेला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के आसंदी से कही। कार्यक्रम में मंत्री लखमा ने जिले का नाम पूरे देश में रौशन करने वाले मलखंब के खिलाडियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया और उनके प्रदर्शन की सराहना की। इस अवसर पर उपाध्यक्ष प्रमोद नेलवाल, संगठन पदाधिकारी आर.पी.सिंह के अलावा क्षेत्र के माता मावली मेला आयोजन समिति के हीरासिंह देहारी, क्षेत्र के मांझी, चालकी, पुजारी, जनप्रतिनिधी एवं संगठन पदाधिकारी और एसडीएम दिनेश कुमार नाग, डिप्टी कलेक्टर फागेष सिन्हा, धनराज मरकाम, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास ए.सी. बर्मन, जिला शिक्षा अधिकारी जी.आर. मंडावी, मुख्य नगर पालिका अधिकारी मोबिन अली, जिला प्रशासन के जिला स्तरीय अधिकारी, गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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कलेक्टर एवं मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष धर्मेष कुमार साहू ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने स्वागत भाषण में कहा कि 5 दिवसीय मेले में आम जनता के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यकमों के आयोजन किए गए, जहां लोगों ने अबूझमाड़ की कला संस्कृति की झलक देखी। वहीं आम जनता की भलाई के लिए चलायी जा रही योजनायों पर आधरित विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल भी लगाए गए। इसके साथ ही स्थानीय प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए मंच भी प्रदान किया गया।
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हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक चंदन कष्यप ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदिवासियों की भलाई के बारे में सोचने और इस पर अमल करने वाले मुख्यमंत्री है, जिन्होंने प्रदेश के आदिवासियों की स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ ही आर्थिक, सामाजिक स्थिति बेहतर करने के लिए कई योजनाएं संचालित की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के कला एवं परंपरा को जीवित रखने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी लोग अपनी लोक, कला और संस्कृति को सहज कर रखें, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी कला, संस्कृति पर गर्व कर सके।
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बस्तर संसदीय क्षेत्र के सांसद दीपक बैज ने अपने उद्बोधन में कहा कि यहां के आदिवासी लोग देवी-देवताओं को मानने वाले लोग हैं और अंचल के लोगों पर माता मावली का आशीर्वाद हैं। उन्होंने जिला प्रशासन द्वारा माता मावली मेला में की गयी अनोखी पहल स्थानीय नर्तक दलों को मंच प्रदान करने, शासन की योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को देने विभिन्न विभागों द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी, स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान करने, बिहान बाजार, गोधन उत्पादों की बिक्री आदि की सराहना की। कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्यामबती नेताम, नगर पालिका अध्यक्ष सुनीता मांझी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवनाथ उसेण्डी सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को जिला प्रशासन द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राहुल देव ने किया।

 
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