रायपुर: लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावी सरगर्मी में छत्तीसगढ़ के सियासी मैदान में सीएम और पूर्व सीएम के बीच ट्विटर वार छिड़ी हुई है। इसी कड़ी में सीएम भूपेश बघेल ने अपने ट्विटर हैंडल का नाम बदलकर भूपेश बघेल के बादले ‘छोटा आदमी भूपेश बघेल’ कर लिया है।
हां! मैं छोटा आदमी हूं, एक किसान का बेटा हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मैं ऐसा ही रहूं हमेशा। ताकि बस्तर से लेकर सरगुजा तक और रायपुर से लेकर सुपेबेड़ा तक हर किसान, आदिवासी, युवा और आम जनता के बीच मैं सहज उपलब्ध रह सकूं।
आप ‘बड़े आदमी’ बन गए थे। वह आपको ही मुबारक, रमन जी। pic.twitter.com/u6SB6CyqH7
— छोटा आदमी Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 13, 2019
सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा है कि हां! मैं छोटा आदमी हूं, एक किसान का बेटा हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मैं ऐसा ही रहूं हमेशा। ताकि बस्तर से लेकर सरगुजा तक और रायपुर से लेकर सुपेबेड़ा तक हर किसान, आदिवासी, युवा और आम जनता के बीच मैं सहज उपलब्ध रह सकूं। आप ‘बड़े आदमी’ बन गए थे। वह आपको ही मुबारक, रमन जी। इसके साथ ही बघेल ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह सीएम भूपेश बघेल को छोटा आदमी कहकर संबोधित कर रहे हैं।
अगर किसानों को लाभ पहुंचाना, आदिवासियों को न्याय दिलाना छोटे मन की छोटी हरकत है, तो मुझे अपना छोटापन मंज़ूर है. मैं सौ बार छोटा होकर ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों और आदिवासियों के पक्ष में खड़ा होकर छोटा होना पसंद करुंगा. https://t.co/1H2qS06WfC
— छोटा आदमी Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 13, 2019
वहीं, उन्होंने दूसरे ट्वीट पर लिखा है कि अगर किसानों को लाभ पहुंचाना, आदिवासियों को न्याय दिलाना छोटे मन की छोटी हरकत है, तो मुझे अपना छोटापन मंज़ूर है। मैं सौ बार छोटा होकर ग़रीबों, मज़दूरों, किसानों और आदिवासियों के पक्ष में खड़ा होकर छोटा होना पसंद करुंगा।
गौरतलब है कि चुनावी समर में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गए हैं। जहां एक ओर दोनों दल निशाना साध रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जनता को साधने में भी लगे हुए हैं। इसी कड़ी में सीएम भूपेश बघेल ने जलियांवाला बाग के दर्दनाक हादसे के सौवीं बरसी पर ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। साथ ही इस दर्दनाक घटना की कड़ी निंदा भी की। ट्विटर पर उन्होंने लिखा है कि जलियांवाला बाग के दर्दनाक हादसे को सौ साल बीत गए। दरिंदगी का वह मंज़र और उससे उपजी पीड़ा आज भी तकलीफ़ पहुंचाती है।