टूजी घोटाले में कोर्ट के फैसले को कांग्रेस, डीएमके ने सच की जीत कहा | Congress and DMK says victory of truth in verdict of 2g scame

टूजी घोटाले में कोर्ट के फैसले को कांग्रेस, डीएमके ने सच की जीत कहा

टूजी घोटाले में कोर्ट के फैसले को कांग्रेस, डीएमके ने सच की जीत कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : December 21, 2017/6:40 am IST

नई दिल्ली। जैसे ही दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने कथित टूजी घोटाले में पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा, डीएमके राज्यसभा सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को दोष साबित नहीं होने पर बरी करने का फैसला सुनाया, कांग्रेस समेत यूपीए में खुशी की लहर दौड़ गई। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि यूपीए सरकार पर लगाए गए आरोप सही नहीं थे और आज ये साबित हो गया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि हमारी सरकार के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। कपिल सिब्बल ने तत्कालीन सीएजी विनोद राय पर भी सीधा हमला बोला।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने टूजी पर अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कोर्ट ने साफ तौर पर ये पाया कि निर्दोष लोगों के साथ गलत हुआ। न्याय ने अपना काम किया।

 

इस फैसले से कांग्रेस से भी बड़ी राहत उसकी सहयोगी डीएमके को मिली है क्योंकि डीएमके कोटे के मंत्री ए राजा और सांसद कनिमोझी इस मामले में आरोपी बनाए गए थे। अदालत के फैसले के बाद डीएमके ने कहा है कि ये एक झूठा केस था, पिछले दो विधानसभा चुनावों में इस केस को हमारे खिलाफ इस्तेमाल किया गया और अब ये साबित हो गया कि ये झूठ था।

डीएमके के वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगण ने इसे जीत की शुरूआत बताया है। उन्होंने कहा कि इस केस को राजनीतिक साज़िश के तहत हमारे ऊपर थोपा गया, लेकिन अब सबकुछ साफ हो गया।

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि हम एक बहुत बड़े तनाव से मुक्त हुए हैं, हमें पता था कि इंसाफ की जीत होगी और अगर निष्पक्ष कार्यवाही हुई तो सच जीतेगा।

इन सबके बीच गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा है कि अगर सरकार के पास पुख्ता सबूत हैं तो उसे ऊपरी अदालत में जाना चाहिए।

आपको बता दें कि 2जी घोटाला साल 2010 में सामने आया जब महालेखाकार और नियंत्रक विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ था. आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर होते तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों और प्राप्त हो सकते थे.

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तत्कालीन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने इस कथित घोटाले को लेकर मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और चौतरफा दबाव में दूरसंचार मंत्री ए राजा, डीएमके सांसद कनिमोझी समेत कई आरोपियों को जेल जाना पड़ा। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन पटियाला हाउस अदालत में चले ट्रायल में बचाव पक्ष के आगे अभियोजन पक्ष कमज़ोर साबित हुआ और आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में सीबीआई नाकाम रही।

 

 

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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