सियासी दंगल में फिर दांव पर दलित! क्या 2023 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में हावी रहने वाला है जातिवाद? | Dalits at stake again in political riots! Is casteism going to dominate Chhattisgarh in 2023 elections?

सियासी दंगल में फिर दांव पर दलित! क्या 2023 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में हावी रहने वाला है जातिवाद?

सियासी दंगल में फिर दांव पर दलित! क्या 2023 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में हावी रहने वाला है जातिवाद?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : July 10, 2021/5:48 pm IST

रायपुर: दलित साधे..सत्ता सधै..बीजेपी शायद इसी मंत्र के साथ 2023 के चुनाव में उतरने का मन बना रही है। पिछले चुनाव से सबक लेते हुए बीजेपी इस बार SC वर्ग को अपने पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश कर रही है। शायद यही वजह है कि भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाकर दलित सेंटीमेंट को कैश करने की कोशिश की, तो सत्ता रूढ़ कांग्रेस ने भी जवाबी हमला किया। अब सवाल ये है कि सरकार पर इस तरह के आरोप लगाने से बीजेपी को वाकई फायदा होगा? क्या 2023 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में जातिवाद हावी रहने वाला है?

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BJP अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब बीजेपी मिशन 2023 के लिये चुनावी रणनीति बनाने के लिए लगातार मंथन कर रही है। लिहाजा लाल सिंह आर्य के बयान को चुनावी गणित से जोड़कर देखा जाएगा ये तो तय है। राज्य में दलित वोटर्स निर्णायक स्थिति में है, जो सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ महीनों में राज्य में दलित वर्ग से संबंधित घटनाओँ को लेकर बीजेपी ने सोशल मीडिया से सदन और सड़क तक लड़ाई लड़ी। यही वजह है कि कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में आयोजित SC मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए लाल सिंह आर्य ने सरकार को दलित विरोधी बताकर बीजेपी को दलितों की हितैषी बताने की भरपूर कोशिश की है।

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दरअसल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अनुसूचित जाति का भारी समर्थन मिला था। 10 SC सीटों में से कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीती, तो बीजेपी को महज 2 सीट मिले। इससे पहले अनुसूचित जाति की सीटों पर बीजेपी का दबदबा हुआ करता था। SC बाहुल्य सीटों में दोबारा अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी ने बूथ स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी की एक रणनीति ये भी है कि कांग्रेस शासित राज्यों की दलित वर्ग की घटनाओं को ज्यादा फोकस कर कांग्रेस को ही दलित विरोधी बताया जाए। हालांकि कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि वो बीजेपी शासित राज्यों की स्थिति पर नजर डालें, तो साफ हो जाएगा कि दलित वर्गों का शोषण कहां हो रहा है।

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छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए SC वोटरों का रोल बेहद अहम रहा है। इसलिए महज 14 सीटों पर सिमटी बीजेपी अब अनुसूचित जाति से जुड़े मुद्दों को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है। जवाब में सत्ता पक्ष भी अनुसूचित जाति से संबंधित घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई कर अपने आप को इस वर्ग का हितैषी बता रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2023 के चुनावी दंगल में एक बार फिर दांव पर दलित होंगे?

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