फ्लैश बैक : 2018 की शुरुआत का एकतरफा मुकाबला अब हुआ रोमांचक, देखिए | Flashback : The one-way competition of the start of 2018 is now exciting

फ्लैश बैक : 2018 की शुरुआत का एकतरफा मुकाबला अब हुआ रोमांचक, देखिए

फ्लैश बैक : 2018 की शुरुआत का एकतरफा मुकाबला अब हुआ रोमांचक, देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : December 31, 2018/1:58 pm IST

रायपुर। साल 2018 में देश में कई बदलाव आए, कुछ अच्छे तो कुछ बुरे। 2018 के इन्हीं बुरे और अच्छे अनुभवों पर एक नजर डालते हैं। शुरुआत करते हैं राष्ट्रीय राजनीति से। जहां पीएम नरेंद्र मोदी वर्सेज राहुल गांधी की जंग बेहद रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुकी है। इस साल इन दो शख्सियतों के बीच कई मोर्चे पर मुकाबले हुए। शुरुआत में तो मोदीजी ने तो एकतरफा जीत हासिल की लेकिन साल का अंत होते-होते राहुल गांधी एक सीरियस कंपीटिटर बनकर उभरे। देखिए वो लम्हें जब दोनों ने एक दूसरे को चैलेंज दिया।

देश विजय के अभियान पर निकली बीजेपी जब 2018 में दाखिल हुई तो आधे से ज्यादा राज्यों पर भगवा रंग चढ़ चुका था। पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी को भारतीय राजनीति के चाणक्य का दर्जा दिया जाने लगा। बीजेपी के विजय रथ को रोकने की कोशिशें तो गुजरात में हुई लेकिन पीएम मोदी इस चक्रव्यूह को भी भेदकर आगे निकल गए।

दूसरी तरफ राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पहली बार नया साल मनाने आए तो पार्टी के पास खोने के लिए कुछ बचा नहीं था। दो दशक से गुजरात की सत्ता में रही बीजेपी को गुजरात से भले ही राहुल गांधी हटा नहीं पाए। लेकिन पीएम मोदी को उनके होम ग्राउंड पर नाको चने चबवा दिए।

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2018 में पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी का मुकाबला कर्नाटक शिफ्ट हो गया। राहुल के पास इस बार चुनौती सरकार बनाने की नहीं, बल्कि सरकार बचाने की आई। सिद्धारमैया ने लिंगायत को अलग धर्म बनाने का मुद्दा छेड़ा। तो सियासत ने पूरी तरह धार्मिक रंग ले लिया। बीजेपी ने भी टीपू सुल्तान के बहाने हिंदुत्व कार्ड खेला। इस बीच जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करते रहे। रिजल्ट आया तो बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन बहुमत नहीं मिल पाया। बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया। कांग्रेस और जेडीएस के विरोध के बावजूद बीएस येदुरप्पा ने सीएम के रूप में शपथ भी ले ली। बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने सबकुछ दांव पर लगा दिया। विधायकों का जुगाड़ नहीं कर पाए येदुरप्पा को आखिरकार एक भावुक भाषण के बाद इस्तीफा देना पड़ा। नतीजा ये हुआ कि सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी विपक्ष में बैठी। दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस ने तीसरे नंबर की जेडीएस को सपोर्ट कर एचडी कुमारस्वामी को सीएम बनवाया। चुनावी चाणक्य माने जा रहे अमित शाह के लिए ये पहला बड़ा झटका था।

कर्नाटक के नाटक के बाद पीएम मोदी बनाम राहुल गांधी की ये लड़ाई पूर्वोत्तर में शिफ्ट हुई। कांग्रेस के पुराने गढ़ में सेंध लगाने की शुरुआत तो बीजेपी पहले ही कर चुकी थी। 2018 में हुए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को धूल चटा दिया। त्रिपुरा में बीजेपी ने ढाई दशक पुराना वामपंथी किला ढहा कर पूरे बहुमत से सरकार बनाई। वहीं नागालैंड और मेघालय में भी कांग्रेस को सत्ता से दूर कर गठबंधन सरकारें बनवाई।

राहुल गांधी और पीएम मोदी के बीच सियासी जंग से संसद भी अछूता नहीं रहा। जुलाई में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने भाषण दिया। भाषण खत्म करते ही राहुल गांधी पीएम नरेंद्र मोदी की कुर्सी की तरफ गए। पीएम को गले लगाया। गले लगाकर अपनी सीट पर लौटे राहुल गांधी ने आंख मार दी। कैमरों में कैद हुई राहुल गांधी के आंख मारने की तस्वीर तुरंत वायरल हो गई। राहुल की तुलना अभिनेत्री प्रिया प्रकाश से होने लगी। संसद में जादू की झप्पी के बाद हुए इस नैन-मटक्के पर संसद से लेकर सड़क तक हुई। वो भी पूरे चटखारे लगाकर।

पीएम मोदी और अमित शाह की टीम का डंका कश्मीर से कन्याकुमारी तक बजने लगा। देश के 19 राज्यों पर भगवा रंग चढ़ गया। लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर लगातार सवाल उठते रहे। आतंकी हमले की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही। सेना ने ऑपरेशन बढ़ाया। तो आतंकी भी नए-नए तरीके आजमाने लगे। पत्थरबाजी की घटनाएं भी बढ़ती गईं। धारा 370 के औचित्य पर सवाल उठने लगे। इसी बीच जम्मू में बच्ची से बलात्कार की घटना ने भी घाटी ही नहीं बल्कि पूरे देश को हिला दिया। आरोपियों को लेकर जम्मू के लोगों और कश्मीर के लोग बंटे नजर आए। सियासी नफे नुकसान के आंकलन के बाद बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 3 साल पुराना गठबंधन टूटा। तो पहले राज्यपाल शासन और फिर 6 महीने बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। हालांकि इस बीच पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। लेकिन राज्यपाल ने सत्यपाल मलिक ने तब तक विधानसभा भंग कर दी। पूरा मामला राज्यपाल की फैक्स मशीन में आकर उलझ गया।

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2018 के आखिर में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव को लोकसभा का सेमीफाइनल माना गया। तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी। तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार। जिसमें से 2 राज्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तो 15 साल से बीजेपी के पास थे। बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस टक्कर में पीएम मोदी और राहुल गांधी ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। नतीजे आए तो कांग्रेस ने तीनों राज्यों को बीजेपी से छीन लिया। अध्यक्ष बनने के करीब एक साल बाद पहली बार राहुल गांधी ने सीधी लड़ाई में बीजेपी को पटका और 3 राज्य छीन लिए। लोकसभा चुनाव से पहले मिली इस जीत से उत्साहित राहुल गांधी के समर्थक अब उन्हें 2019 में पीएम बनाने की तैयारी कर रहे हैं। 2018 के शुरुआत में जो मुकाबला एकतरफा दिख रहा था। अब वो रोमांचक हो गया है। भले ही सर्वे एजेंसियां अभी भी मान रही हों कि पीएम मोदी का जादू बरकरार है। लेकिन 2019 में लड़ाई टक्कर की होगी, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।