साँप काटने से इंसान की मौत बहुत कम होती है, समय पर इलाज में लापरवाही करने और अंधविश्वास मौत की बड़ी वजह होती है, साँप काटने से इंसान मौत के नजदीक कैसे पहुंचता है आज यह नजारा जिला अस्पताल में देखने को मिला, सांप काटने एक मरीज दिनेश अहिरवार को आज जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, ईलाज से मरीज की हालत में भी सुधार था, लेकिन अनचाहे डर और अंधविश्वास के चलते परिजनों ने गुनिया और ओझाओं को बुला लिया, ओझाओं ने इलाज रत मरीज दिनेश को वार्ड से निकालकर अस्पताल परिसर में सिर मढ़वा कर झाड़फूंक करने लगे, मंत्रोपचार कर सांप का विष उतारने लगे, ओझाओं द्वारा गंभीर मरीज को ईलाज के दौरान ईलाज बंद करवाकर वार्ड से बाहर लाकर बेखौफ खुलेआम घंटो अंधविश्वास का खेल खेला गया और किसी ने रोकने टोकने की जरूरत नही समझी, इतना ही नही टिकुरी गांव निवासी दिनेश अहिरवार को झाड़फूंक और सिर मुड़वाने के बाद अस्पताल में वापस भर्ती करने की बजाय विष उतर जाने की बात कहकर मरीज को परिजनों के साथ गांव भेज दिया गया, भगवान न करे अगर दिनेश की मौत हो जाती है तो जिम्मेदार कौन…. बड़ा सवाल है, दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन ऐसे मामलों में परंपराओं रूढ़ियों के आगे अपने आपको बेबस बता रहे है ।