सिलेंडर खा रहे धूल- चूल्हे फेंक रहे धुआं, विद्यार्थियों की आंखे बिना अपराध काट रही सज़ा | Food on a wooden stove Student's eyes are punished without crime

सिलेंडर खा रहे धूल- चूल्हे फेंक रहे धुआं, विद्यार्थियों की आंखे बिना अपराध काट रही सज़ा

सिलेंडर खा रहे धूल- चूल्हे फेंक रहे धुआं, विद्यार्थियों की आंखे बिना अपराध काट रही सज़ा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : February 21, 2019/10:06 am IST

बेमेतरा। जिले के स्कूलों में चूल्हे पर मध्यान्ह भोजन पकाया जा रहा है। मोदी सरकार ने गांव गांव में उज्जवला योजना के तहत गैस बांटी है,बावजूद इसके यहां के बच्चे धुएं के साये में अध्ययन करन को मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि शाला में गैस और सिलेंडर की सुविधा नहीं है। बावजूद इसके बच्चों के लिए लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाया जा रहा है।

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बता दें कि वर्ष 2005-06 में तत्कालीन राज्य सरकार के द्वारा जिले के 745 प्राथमिक और 389 पूर्व माध्यमिक स्कूलों के लिए गैस चूल्हा और सिलेंडर दिए गए थे। लगभग 1 लाख 3 हजार बच्चों को मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए 1147 स्व सहायता समूहों को निर्देशित किया गया था। सरकार ने धुआं से मुक्ति दिलाने के लिए गैस सिलेण्डर और चूल्हे सभी शालाओं को दिए थे।

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सरकार की धुंआ रहित ईधन की उस मंशा को उनके मातहतों ने ही पलीता लगा दिया है। जिले के सभी स्कूल आज भी लकड़ी जला कर चूल्हे पर खाना बना रहे हैं। शालाओं में गैस सिलेण्डर या तो धूल खा रहे या फिर शिक्षकों के घर की शोभा बढ़ा रहे हैं।