बेमेतरा। जिले के स्कूलों में चूल्हे पर मध्यान्ह भोजन पकाया जा रहा है। मोदी सरकार ने गांव गांव में उज्जवला योजना के तहत गैस बांटी है,बावजूद इसके यहां के बच्चे धुएं के साये में अध्ययन करन को मजबूर हैं। ऐसा नहीं है कि शाला में गैस और सिलेंडर की सुविधा नहीं है। बावजूद इसके बच्चों के लिए लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाया जा रहा है।
ये भी पढ़ें- अंतागढ़ टेपकांड, अजीत जोगी और राजेश मूणत ने एफआईआर को दी चुनौती, हा…
बता दें कि वर्ष 2005-06 में तत्कालीन राज्य सरकार के द्वारा जिले के 745 प्राथमिक और 389 पूर्व माध्यमिक स्कूलों के लिए गैस चूल्हा और सिलेंडर दिए गए थे। लगभग 1 लाख 3 हजार बच्चों को मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए 1147 स्व सहायता समूहों को निर्देशित किया गया था। सरकार ने धुआं से मुक्ति दिलाने के लिए गैस सिलेण्डर और चूल्हे सभी शालाओं को दिए थे।
ये भी पढ़ें- बस्तर के अर्जुन का कमाल, 64वें शालेय एथलेटिक्स में जीता गोल्ड
सरकार की धुंआ रहित ईधन की उस मंशा को उनके मातहतों ने ही पलीता लगा दिया है। जिले के सभी स्कूल आज भी लकड़ी जला कर चूल्हे पर खाना बना रहे हैं। शालाओं में गैस सिलेण्डर या तो धूल खा रहे या फिर शिक्षकों के घर की शोभा बढ़ा रहे हैं।