गरियाबंद। सरकार भाजपा की रही हो या फिर कांग्रेस की सभी ने विकास के दावे तो खूब किये मगर आज भी प्रदेश का एक बडा इलाका विकास से कोसो दूर है। वहां के लोग आज भी सडक, बिजली पानी और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे है। विकास के दावों की पोल खोलने वाली ऐसी ही एक तस्वीर गरियाबंद में सामने आयी है। एक घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाने में 15 घंटे का समय लग गया उसे उल्टी खाट पर लेटा कर रस्सियों से बांधकर चार लोग कांधा देकर घने जंगल के बीच बनी पगडंडियों से 15 किलोमीटर का पैदल सफर कर अस्पताल के आधे रास्ते तक पहुंचे क्योंकि उनके गांव तक ना कोई सड़क है। और ना वहां कोई स्वास्थ्य सुविधा।
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बताया जा रहा है कि कुल्हाडीघाट पंचायत के आश्रित गांव कुरवापानी निवासी पटेलराम मांझी पर भालू ने हमला कर दिया था। जिसके चलते उसकी हालत ख़राब हो गई थी। उसकी ख़राब हालत को देखते हुए परिजनों को उसे अस्पताल पहुंचाने में 15 घंटे का वक्त लग गया, जबकि मैनपुर अस्पताल की दूरी महज 30 किलोमीटर है। वजह थी पंचायत मुख्यालय कुल्हाडीघाट से कुरवापानी के बीच 18 किलोमीटर तक कोई रास्ता ना होने के कारण उन्होंने मरीज को खाट पर लेटा कर रस्सी से बांध कर उसे अस्पताल तक चार आदमी कांधा देकर पहुंचाए।
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वन विभाग की मदद से फिलहाल पटेलराम का इलाज जारी है। मगर ये विकास की कडवी सच्चाई है कि कुरवापानी जैसे गरियाबंद जिले में दर्जनों गांव है जो आज भी विकास की बाट जोह रहे है। बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे है अधिकारी भी इस बात से इतेफाक रखते हैं और इलाके के लोग बुनियादी सुविधाओं की मांग करते थक चुके है।
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