यहां दुर्गा देवी को मदिरापान कराने की है मान्यता, दरबार में अर्जी लगाते हैं आम से लेकर खास लोग | Here Durga Maa accepts to drink liquor

यहां दुर्गा देवी को मदिरापान कराने की है मान्यता, दरबार में अर्जी लगाते हैं आम से लेकर खास लोग

यहां दुर्गा देवी को मदिरापान कराने की है मान्यता, दरबार में अर्जी लगाते हैं आम से लेकर खास लोग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : April 17, 2021/11:45 am IST

टोंक, राजस्थान। अभी तक हम देव मूर्तियों के मदिरापान से वाकिफ हैं। लेकिन क्या आपने मदिरापान करने वाली दुर्गा माता को देखा है? यदि नहीं तो चले आइये टोंक जिले के दूनी क़स्बे में। जहां आपको अपने भक्तों से शराब पीती हुई दूणजा माता के दर्शन होंगे। दूणजा माता का मंदिर तालाब के किनारे बना हुआ है।

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जहां नवरात्रि में नो दिन तक भक्त बड़ी संख्या में आते-जाते हैं। यहां जिन भक्तों की मुराद पूरी होती है वे माता को मदिरापान करवाते है। बाक़ायदा शराब की बोतल को माता का पुजारी (भोपा) दूणजा माता की प्रतिमा के मुंह में लगाई जाती है,बाक़ी भक्तों के लिए छोड़ देती है।

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माताजी के दरबार में आस्था रखने वाले ग्रामीण लोग ही नहीं, अच्छे पढ़े-लिखे लोग,अफसर और राजनेता भी शामिल है। यहां प्रमोशन, संतान प्राप्ति से लेकर नेता भी चुनावों में टिकट पाने के लिए मन्नत मांगते है। पुजारी सूरज माली ने बताया कि माताजी द्वारा भक्तों का मदिरापान करने के रहस्य को जानने के लिए सालों पहले तत्कालीन राजा ने मंदिर के नीचे चारों ओर गहरी खाई खुदवाई थी। लेकिन कहीं भी माताजी द्वारा किए गए मदिरापान का सुराग नहीं लगा। आखिर कर थक हार कर राजा भी माताजी की इस अलौकिक शक्ति और चमत्कार कायल हो गए।

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दूणजा माता की लोगों में ख़ासी मान्यता है। जिस किसी भक्त ने श्रद्धा और विश्वास से माता के दरबार में अपने काम की अर्ज़ी लगाई,माता उसे पाती भी देती है। जिसे पाती मिल गई, समझो उसका काम बन गया। पाती एक फूल की पंखुड़ी होती है जो माता जी के सामने बैठ कर मांगी जाती है। अपने काम की पाती मांगने वाला भक्त माता जी के सामने भोपा के माध्यम से एक काग़ज़ रख देता है। या वैसे ही पाती मांगने की अरदास कर लेता है। यदि उस भक्त का काम होने वाला होता है तो माता जी की पौशाक में जड़े फूलों में से एक पंखुड़ी गिर कर उस काग़ज़ में या वहां आंगन में गिर जाती है।

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मान्यता है कि माता जी ने पाती दे दी तो समझो काम पक्का। फिर भक्त वहां मन में बोलता है कि ‘हे मां मुंझे सफलता मिलते ही मैं तुझे अपनी और से पोशाक धारण करवाउंगा या मदिरापान करवाउंगा या सवामणि का प्रसाद चढ़ाऊंगा।’ जो भक्त बोलता है वह माता को प्रसन्न करने के लिए वैसा ही करता है।

 

 
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