संघर्षों के बाद मिली सफलता ,हर्षिता गोले, बड़वानी | IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2019 ,harshita gole,badwani madhya pradesh

संघर्षों के बाद मिली सफलता ,हर्षिता गोले, बड़वानी

संघर्षों के बाद मिली सफलता ,हर्षिता गोले, बड़वानी

:   Modified Date:  November 28, 2022 / 11:26 PM IST, Published Date : August 7, 2019/1:03 pm IST

बेटियां आज के दौर में बेटों से दस कदम आगे है। इसी का उदाहरण है बड़वानी जिले के छोटे से गांव तलवाड़ा डेब में रहने वाली बालिका हर्षिता गोले। एक समय में हर्षिता का परिवार पूरा टूट सा गया था और बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में उसने पढ़ाई की है, परिवार ने बहुत संघर्ष देखा। हर्षिता ने टॉप कर परिवार को खुश होने का बड़ा मौका दिया है।

हर्षिता ने माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 459 नंबर के साथ 91.8 फीसदी अंक प्राप्त कर कामर्स संकाय में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। हर्षिता के जज्बे और जुनून को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रतिदिन स्कूल आने के लिए बहुत खराब रास्ते का 20 किलोमीटर का सफर तय करती है। हर्षिता को बस से स्कूल आने में 1 घंटे का समय लगता है। हर्षिता ने अपने गांव तलवाड़ा डेब से अंजड़ की मॉडर्न एकेडमी स्कूल में कॉमर्स संकाय में 12वीं की पढ़ाई की। हर्षिता के परिवार में माता-पिता और एक भाई है लेकिन हर्षिता के पापा पिछले 2 साल से लापता हैं। परिवार की पूरी जिम्मेदारी भाई के ऊपर है जो किसान है। हर्षिता बताती है कि वह दिन में 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती है। स्कूल जाने के लिए सुबह 5ः00 बजे उठना पड़ता था। हर्षिता ने ट्यूशन नहीं ली और अपने स्कूल के शिक्षकों के मार्गदर्शन व सहयोग से जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। हर्षिता अपनी सफलता का श्रेय स्कूल के टीचर और अपनी माता को देती है। हर्षिता बताती हैं कि मम्मी ने उसे घर के किसी काम के लिए नहीं बोला, हर वक्त पढ़ाई के बारे में कहती हैं। पढ़ लिखकर काबिल बनने की सलाह देती है। हर्षिता बताती है कि पापा के मिसिंग होने के बाद परिवार पूरा टूट सा गया था और बहुत ही विपरीत परिस्थितियों में मैंने पढ़ाई की है। परिवार ने बहुत संघर्ष देखा है। आज भी हम किसानी पर निर्भर हैं। मैं बैंक मैनेजर बनना चाहती हूं और इसके लिए घर पर ही एग्जाम की तैयारी कर रही हूं।

 
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