जानिए कांग्रेस ने इसी समय राहुल को अध्यक्ष क्यों चुना ? | It was the best time to choose Rahul as the Congress president

जानिए कांग्रेस ने इसी समय राहुल को अध्यक्ष क्यों चुना ?

जानिए कांग्रेस ने इसी समय राहुल को अध्यक्ष क्यों चुना ?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : December 11, 2017/12:13 pm IST

यूपीए शासन के 10 साल और उस दौर में हुए भ्रष्टाचार से आहत जनता ने देश के बड़े और विकासशील राज्य गुजरात से निकले नरेंद्र मोदी को बहुमत सौप कांग्रेस को उसके सबसे भयवाह दौर में धकेल दिया था। लेकिन आज स्थितियां भिन्न है क्यों यह समय राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए उचित है ? इसके पीछे सोनिया का लगातार बिगड़ता स्वास्थ्य और 2014 की तुलना में कांग्रेस की सुधरती स्थितियां दोनों है। यदि आप पिछले कुछ समय से कांग्रेस का प्रदर्शन देखें तो पता चलता है कि वह लगातार अपना जनाधार बढ़ा रही है। इसके लिए आपको 2017 में हुए 5 राज्यों के चुनावों पर एक नजर डालनी चाहिए जहां पंजाब में कांग्रेस ने साफ बहुमत हासिल किया वहीं गोवा और मणिपुर में भले ही भाजपा ने सत्ता हथिया ली हो लेकिन भाजपा विरोधी जनाधार यहां साफ देखा जा सकता था।

कांग्रेस में अब राहुल युग, बने अध्यक्ष

इसके तुरंत बाद पंजाब में हुए लोकसभा उपचुनाव हो या मध्यप्रदेश विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। अगर इन सभी बातों घटनाओं को एक साथ देखा जाए तो आप देखेंगे कि राहुल को अध्यक्ष चुनने के लिए इससे बेहतर समय और स्थितियां कभी नहीं थी। इसी के साथ एक बात और है जो राहुल के अध्यक्ष चुने जाने के इस समय को सही ठहराती है वह है गुजरात में बढ़ता कांग्रेस का जनाधार और परिस्थितियां, भले ही कांग्रेस को गुजरात की सत्ता नसीब न हो लेकिन एक बात तो साफ है कि गुजरात में कांग्रेस की स्थिती बेहतर होने वाली है तो इन बदलती हुए स्थितियों का लाभ कांग्रेस ने राहुल की ताजपोशी के साथ उठाने की कोशिश की है।   

 

राहुल के सामने चुनौती

कांग्रेस ने भले ही उचित समय देख राहुल की ताजपोशी की हो लेकिन राहुल के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है। राहुल के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी पार्टी को बुथ लेवल पर मजबूत करना क्योंकि कांग्रेस के पास नेता तो है लेकिन कार्यकर्ता दिखाई नहीं देते। वहीं राहुल के सामने एक ऐसे नेता की चुनौती भी है जिसकी छवि गरीब और हाशिए पर पडे़ लोगों के बीच से निकलकर उनके लिए काम करने वाले नेता की है। वहीं राहुल को अभी भी नेहरू, इंदिरा और राजीव की विरासत से जोड़कर देखा जाता है। इतना ही नहीं पार्टी में जारी अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी से निपटना भी राहुल की प्राथमिकता होगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राहुल के सिर पर ताज तो सही समय पर पहनाया गया, लेकिन देखने वाली बात यह है कि राहुल कमल भरे देश में पंजे को कितना मजबूत कर पाते है। 

 

अमन वर्मा, IBC24

 
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