जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट ने एट्रोसिटी एक्ट से जुड़े मामलों की अदालती सुनवाई पर अहम टिप्पणी की है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि ये अदालत का कर्त्तव्य है कि वो एट्रोसिटी जैसे गंभीर मामलों में इस बात का संज्ञान जरुर लें कि क्या वाकई मामले की शिकायत का कोई ठोस आधार है या नहीं। हाईकोर्ट ने इस अहम टिप्पणी के साथ याचिकाकर्ता पर दर्ज एससी-एसटी एक्ट के प्रकरण और ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया को खारिज कर दिया।
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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में अगर कोई ठोस सबूत ना हो तो सिर्फ शिकायतकर्ता का बयान प्रॉसिक्यूशन का आधार नहीं हो सकता। बता दें कि याचिका नरसिंहपुर की किम्मल बाई नाम की एक महिला ने दायर की थी जिसमें कहा था. कि 5 अप्रैल 2016 को सुशांत नाम के एक किसान ने उस पर फसल कटाई में देर लगाने का आरोप लगाकर मारपीट की थी उसे जातिसूचक गालियां देते हुए अपमानित किया था।
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महिला की शिकायत पर जांच करते हुए नरसिंहपुर के अजाक थाने ने आरोपों को झूठा पाकर शिकायत रद्द कर दी थी। जिसके खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पाया कि पूरा विवाद फसल कटाई में देरी और मज़दूरी भुगतान से जुड़ा था। जिसे एससी एसटी एक्ट से जोड़ दिया गया।
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9 hours ago