मैराथन मीटिंग...आखिर पक क्या रहा है?  | Marathon meeting...what's up after all?

मैराथन मीटिंग…आखिर पक क्या रहा है? 

मैराथन मीटिंग...आखिर पक क्या रहा है? 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:47 PM IST, Published Date : June 15, 2021/6:16 pm IST

भोपाल: राजनीतिक गलियारों में मेल-मुलाकातों बेहद जरूरी हैं, इनका अपना महत्व है लेकिन ये भी सही है कि बंद कमरे में हुई मुलाकातें कई दफा सियासी उलटफेर वाले नतीजे देती रही हैं। मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनों भाजपा नेताओँ की सक्रियता। बंद कमरे की मुलाकातों से अटकलों का ऐसा दौर चला जिसे थामने के लिए अब सत्ता और संगठन में जिम्मेदार नेताओं-कार्यकर्ताओं को ऑल इज वेल का संदेश दिया जा रहा है। मंत्रियों की नई जिम्मेदारी और कार्यकर्ताओं को सवालों का सामना करने की तैयारी कराई जा रही है। विपक्ष ने डेस्टिनेशन कैबिनेट समेत इन बैठकों पर फिर सवाल उठाए हैं। 

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ये है बीते दिनों शिवराज कैबिनेट की सीहोर में हुई डेस्टिनेशन कैबिनेट मीटिंग को लेकर पूछे जा रहे सवाल पर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का जवाब। दरअसल, इन दिनों भाजपा में सत्ता और संगठन दोनों स्तर पर मेल-मुलाकातों और मीटिंग्स का ऐसा सिलसिला चल पड़ा है जिसे लेकर अटकलों कयासों का दौर भी साथ-साथ ही चल रहा है। भाजपा के दिग्गज दिल्ली से लेकर भोपाल तक बंद कमरों में मिले तो, नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें चल पड़ीं। हर स्तर पर उसे खारिज किया गया, पर सियासी अटकलबाजी नहीं थमी। अब  इस उथल-पुथल के बाद सरकार और संगठन के मुखिया अपने सेनापतियों के साथ बैठकें कर पार्टी में ऑल इज वेल का सन्देश देने में लगे है।

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जानकार भी मानते हैं कि मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी में सरकार और संगठन में जारी बैठकें पार्टी के अंदर मचे सियासी घमासान को थामने की एक्सरसाइज है। सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने पहले डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक की, फिर मंत्रियो को काम सौंपकर सभी को साधने की कोशिश की। जबकि संगठन के मुखिया वी डी शर्मा ने प्रदेश पदाधिकारियों और मंडल स्तर के अध्यक्षों से चर्चा कर यह जताने का प्रयास किया कि प्रदेश में संगठन और सरकार कदम मिलाकर काम कर रहे हैं। इधर, कांग्रेस ने एक बार फिर इन बैठकों को लेकर भाजपा को निशाने पर लिया।  

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अब सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार और संगठन की इन बैठकों ने पार्टी के भीतर माहौल को कितना साधा है। कार्यर्ताओं को किस तरह से उन अटकलों के उन सवालों के लिए तैयार किया है, जिसमें बार-बार ये कहा जा रहा है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। भीतरी उथल-पुथल है। सवाल ये भी अब सत्ता और संगठन के ये नेता विपक्ष के सवालों का कैसे सामना करते हैं।

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