कांग्रेस ने तोड़ी 15 साल पुरानी परम्परा, मीसाबंदी को मंच से नहीं दिया जायेगा सम्मान | Misabandi not to be respected forum

कांग्रेस ने तोड़ी 15 साल पुरानी परम्परा, मीसाबंदी को मंच से नहीं दिया जायेगा सम्मान

कांग्रेस ने तोड़ी 15 साल पुरानी परम्परा, मीसाबंदी को मंच से नहीं दिया जायेगा सम्मान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : January 25, 2019/10:37 am IST

 जबलपुर । मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों से चली आ रही एक और परंपरा टूटने वाली है। जिसके तहत कांग्रेस सरकार के निशाने पर आए मीसाबंदियों को इस बार गणतंत्र दिवस के शासकीय कार्यक्रम में सम्मानित नहीं किया जाएगा।बताया जा रहा है कि मीसाबंदी कार्यक्रम में आमंत्रित तो होंगे लेकिन उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह मंच से सम्मान नहीं मिलेगा। मीसाबंदी और बीजेपी इसे सरकार की बदला लेने की कार्रवाई बता रहे हैं तो सरकार के मंत्री, सिर्फ नज़रिए का फेर।

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शिवराज सरकार में लोकतंत्र सेनानी के नाम और मोटी पेंशन से नवाज़े गए मीसाबंदी, कांग्रेस सरकार में लगातार निशाने पर है। सरकार पहले ही मीसाबंदियों को दी जाने वाली 25 हज़ार रुपयों की मासिक पेंशन पर, मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन करवा रही है और अब उनके सम्मान पर भी ब्रेक लग रहा है। हर साल गणतंत्र दिवस के शासकीय कार्यक्रमों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह सम्मान से नवाज़े जाने वाले मीसाबंदियों को इस बार मंच से सम्मान नहीं मिलेगा। जबलपुर में गणतंत्र दिवस के मुख्य शासकीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मीसाबंदियों को न्यौता तो दिया गया है लेकिन इस बार उनके सम्मान की व्यवस्था नहीं है।

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जबलपुर में गणतंत्र दिवस का मुख्य शासकीय कार्यक्रम शहर के पण्डित रविशंकर शुक्ल स्टेडियम में होना है जहां इस बार झण्डावंदन करने जा रहे मंत्री लखन घनघोरिया ने मौजूदा विवाद को सिर्फ नज़रिए का फेर बताया है। सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया का कहना है कि देश की आज़ादी के लिए जान गंवाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और मीसाबंदियों को एक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

 
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