MP उपचुनाव में नोटा बढ़ाएगा प्रत्याशियों की चिंता, 2018 में दिखा था बड़ा असर, देखें ये आंकड़ें | MP by-election 2020: Nota will increase the concern of the candidates

MP उपचुनाव में नोटा बढ़ाएगा प्रत्याशियों की चिंता, 2018 में दिखा था बड़ा असर, देखें ये आंकड़ें

MP उपचुनाव में नोटा बढ़ाएगा प्रत्याशियों की चिंता, 2018 में दिखा था बड़ा असर, देखें ये आंकड़ें

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : October 7, 2020/11:37 am IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में यह पहला मौका है जब एक साथ 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। इसके साथ ही यह भी पहली बार ही हो रहा है जब बसपा उपचुनाव में लड़ रही है। बसपा के साथ ही नोटा में पड़ने वाले मतों की वजह से इन उपचुनाव में होने इस बार प्रत्याशियों के हार-जीत का गणित भी पूरी तरह से बिगड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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इसकी वजह है बीते चुनाव में इन सभी 28 सीटों पर नोटा में डाले गए मतों की संख्या। नोटा में डाले गए मतों की वजह से ही आम चुनाव में कांग्रेस को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि उसके दो उम्मीदवार मुश्किल में फंसने के बाद भी निकलने में सफल रहे थे।

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सता रहा नोटा का डर

मध्य प्रदेश में उप चुनाव को लेकर कांग्रेस, बीजेपी और बीएसपी को बिना दल के नोटा का डर सता रहा है। इसका कारण विधानसभा के 2018 के आम चुनाव है जंहा नोटा ने बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया पर इस बार समीकरण अलग है। उनमें से 5 सीट ऐसी थी जहां सीटों पर विजेता और दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों के बीच वोटों का अंतर नोटा को मिले वोट से भी कम है। यानी, इन सीटों पर नोटा के वोट अगर दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों को मिले होते तो नतीजे पूरी तरह से बदल सकते थे। इसका बड़ा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा था। यही वजह है कि इस बार नोटा के साथ ही बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए बसपा और बागियों से निपटने की बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

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नोटा की मेहरबानी तीन कांग्रेस प्रत्याशियों ने दर्ज की जीत

अगर उपचुनाव वाली 28 सीटों पर बीते आम चुनाव में रहे अंतर को देखें तो कांग्रेस को बीजेपी से 415228 अधिक मत मिले थे। जिसकी वजह से ही अधिकांश सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। बीते आम चुनाव में नोटा को मिले मतों ने कई कांग्रेस प्रत्याशियों की किस्मत बदल दी थी। इसी वजह से ही माना जा रहा है कि इस बार भी कई सीटों पर हार-जीत का अंतर बेहद मामूली रह सकता है। बीते चुनाव में सिर्फ नोटा की मेहरबानी से कांग्रेस के तीन प्रत्याशी विधायक बनने में सफल रहे थे।

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ऐसा रहा हार-जीत का अंतर

इस दौरान दो विधायक तो ऐसे रहे जिनके जीत का अंतर और नोटा के वोट लगभग एक समान रहे थे। इनमें सुवासरा से हरदीप सिंह डंग 350 वोटों से जीते थे, जबकि यहां पर नोटा को 2976 वोट मिले थे। इसी तरह से नेपानगर में सुमित्रा कासडेकर 1264 वोटों से जीतीं। यहां 2551 मत नोटा में डाले गए थे। ब्यावरा से गोवर्धन दांगी 1481 वोट जीते। इस सीट पर 1481 वोट ही नोटा को मिले। सांवेर में तुलसीराम सिलावट 2945 वोटों से जीते थे। यहां पर नोटा को 2591 वोट मिले, जिसकी वजह से यहां पर जीत का अंतर महज 354 वोट का ही रहा। 

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आगर में बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल को 2490 वोटों से जीत मिली थी। वीओ-बीते आम चुनाव में नोटा को मिले मतों ने कई कांग्रेस प्रत्याशियों की किस्मत बदल दी थी। इसी वजह से ही माना जा रहा है कि इस बार भी कई सीटों पर हार-जीत का अंतर बेहद मामूली रह सकता है। इस बार भी उपचुनाव में लगभग यही स्थिति रहने वाली है, क्योंकि इस बार उपचुनाव में बसपा भी मैदान में है। इन समीकरणों और उपचुनावी माहौल की वजह से दोनों दलों की धड़कने बड़ी हुई हैं।

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