अपने इलाके के ग्रामीणों और किसानों को नाम और गांव से पहचाने हैं सीएम भूपेश बघेल, टोपोग्राफी ज्ञान से हैरान रह गए लोग | People amazed by Chief Minister Shri Baghel's knowledge of topography Chief Minister knows the villagers and farmers of his area by name and village

अपने इलाके के ग्रामीणों और किसानों को नाम और गांव से पहचाने हैं सीएम भूपेश बघेल, टोपोग्राफी ज्ञान से हैरान रह गए लोग

अपने इलाके के ग्रामीणों और किसानों को नाम और गांव से पहचाने हैं सीएम भूपेश बघेल, टोपोग्राफी ज्ञान से हैरान रह गए लोग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:45 PM IST, Published Date : June 8, 2021/4:20 pm IST

रायपुर: दुर्ग जिले के विकास कार्यों के वर्चुअल लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम में आज एक दिलचस्प वाकये ने लोगों को हैरान कर दिया। स्क्रीन पर नजर आ रही एक महिला ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना परिचय देते हुए बताया कि वे फेकारी गांव में रहती हैं, तो मुख्यमंत्री ने चट पूछ लिया- फेकारी गांव में कहां पर? महिला ने बताया- लोहार पारा। मुख्यमंत्री ने तुरंत पलटकर पूछा- पीपल पेड़ के पास? मुख्यमंत्री के मुंह से अपने घर के बिल्कुल पास का पता सुनकर महिला का चेहरा खुशी से खिला उठा। कार्यक्रम में उपस्थित लोग भी बघेल की टोपोग्राफी के ज्ञान पर हैरान रह गए।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यक्रमों में इस तरह के वाकये अक्सर देखने-सुनने को मिलते रहते हैं। पाटन-दुर्ग इलाके के ग्रामीणों और किसानों को मुख्यमंत्री न सिर्फ नाम और गांव से जानते हैं, बल्कि उनके खेतों और नदी-नालों के बारे में भी बखूबी जानते हैं। कार्यक्रमों के दौरान अपने इलाके के किसानों से बातचीत करते हुए वे गांवों के खारों के नाम ले-लेकर भी उनसे खेती-किसानी की जानकारी लेते हैं।

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आज के वर्चुअल कार्यक्रम में स्क्रीन पर नजर आ रही एक महिला गोदावरी कौशिक ने मुख्यमंत्री को बताया कि उनके स्व सहायता समूह ने कल्याणी प्रजाति के बैंगन लगाने का काम शुरू किया है और इससे केवल दो एकड़ में डेढ़ लाख रुपए के बैंगन बेच चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने इस तरह के प्रयोग करने पर गोदावरी को और समूह की एक अन्य महिला दामिन साहू को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के नवाचार से ही आर्थिक तरक्की का रास्ता खुलता है।

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इस बार अपने खेतों में धान के बदले सुगंधित चावल, सोयाबीन, मक्का जैसी फसलें लेने का निर्णय लेने वाले किसानों से भी बघेल ने चर्चा की। ललित महिपाल ने उन्हें बताया कि इस बार उन्होंने सुगंधित धान की खेती का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। मुख्यमंत्री ने सलाह दी कि सुगंधित चावल की खेती में जैविक खाद का उपयोग करिए और इसका रजिस्ट्रेशन भी कराइए। तीन-चार साल बाद इस तरह की खेती करने पर सर्टिफिकेट मिलने से सुगंधित चावल का रेट ज्यादा मिलेगा पाएगा। उन्होंने कहा कि जो लोग जैविक धान उपजा रहे हैं, उन्हें भी अच्छी कीमत मिल रही है। सुगंधित धान का उत्पादन यदि जैविक खाद का प्रयोग कर किया जाए तो इसके दाम और भी ज्यादा मिलेंगे। ग्राम उमरकोटी के दिवाकर गायकवाड़ ने बताया कि उन्होंने इस बार 2 हेक्टेयर में सुगंधित धान लगाने की तैयारी की है। इसके लिए 15 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट भी खरीद लिया है। अजय शर्मा ने बताया कि इस साल उन्होंने सोयाबीन बोने का निर्णय लिया है, क्योंकि तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, इससे आने वाले साल में सोयाबीन की अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है। तुलाराम साहू ने बताया कि इस बार उन्होंने मक्का लगाने का निर्णय किया है।

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चंदखुरी की सिंधुजा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने 375 क्विंटल खाद का उत्पादन किया है। डिकंपोजर बनाया है। दीया बनाया है। समूह की सदस्य गीतांजलि बघेल ने बताया कि समूह ने अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से साढ़े तीन लाख रुपए का लाभ अर्जित किया है।

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