सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI रंजन जाएंगे राज्यसभा, राम मंदिर पर दिया था ऐतिहासिक फैसला, राष्ट्रपति ने किया नामित | President Ram Nath Kovind nominates former Chief Justice of India Ranjan Gogoi to the Rajya Sabha.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI रंजन जाएंगे राज्यसभा, राम मंदिर पर दिया था ऐतिहासिक फैसला, राष्ट्रपति ने किया नामित

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI रंजन जाएंगे राज्यसभा, राम मंदिर पर दिया था ऐतिहासिक फैसला, राष्ट्रपति ने किया नामित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : March 16, 2020/4:05 pm IST

नई दिल्ली: राज्यसभा चुनाव को लेकर देश के कई राज्यों में घमासान मचा हुआ है। इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर है कि राम मंदिर मामले में ऐतिहासिक फैसला देने वाले पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई अब राज्यसभा जाएंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है। गृहमंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड 3 के साथ पठित खंड 1 के उपखंड क की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने गोगोई को नामित किया है।

जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

– जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को असम में हुआ था।
– 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी। इसके बाद साल 2001 में बतौर जज जस्टिस गोगोई ने अपने करियर की शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट से की थी।
– 2010 में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में जज बने। फिर 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए।
– गोगोई देश के 46वें सीजेआई बने। उन्होंने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी।
– अक्तूबर 2018 में जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद जस्टिस गोगोई ने देश के 46वें सीजेआई के रूप में सुप्रीम कोर्ट की कमान संभाली।
– सीजेआई गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन 11 जजों में से एक हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की है।
– देश की बहुचर्चित फैसले की बात करें तो सीजेआई गोगोई ने अब तक अपने कार्यकाल में असम एनआरसीए को लेकर सख्त निर्देश दिए।

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राम मंदिर मामला
सीजेआई रंजन गोगोई ने 9 नवंबर 2019 को भारत के सबसे पुराने अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज कर लिया है। गोगोई के अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया। गौर करने वाली बात यह है कि सभी जजों ने एकमत में फैसला सुनाया।

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2. राफेल मामला
सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने अंतिम 10 कार्य दिवस के दौरान देश के बहुचर्चित राफेल विमान डील मामले में भी अपना फैसला सुनाया है। मामले में सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट ती तीन जजों की पीठ ने भारतीय वायुसेना के लिए भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की डील की जांच के लिए लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान कोर्ट ने इस मामले में रक्षा मंत्रालय को क्लिन चीट दे दिया था, लेकिन कई नेताओं और मंत्रियों ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 14 नवंबर 2019 को सीजेआई रंजन गोगोई की संविधान पीठ ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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3. RTI दायरे में भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय
सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने अंतिम 10 कार्य दिवस में कई बड़े मामलों में फैसला सुनाया, जिसमें एक मामला ‘आरटीआई दायरे में भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय’ था। मामले में 5 जजों की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर सार्वजनिक कार्यालय है, इसलिए यह आरटीआई कानून के दायरे में आएगा। यह बड़ा फैसला भी सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सुनाया। यह मामला भी करीब नौ साल तक चला। मामले में 13 नवंबर को फैसला आया था।

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4. एनआरसी पर फैसला
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) लागू करने के मामले में भी पूरे देश में कई विवाद हुए। लेकिन सीजेआई गोगोई का फैसला अडिग रहा। उन्होंने निश्चित किया कि तय समयसीमा में एनआरसी को लागू किया जा सके, ताकि गैरकानूनी तरीके से असम में रह रहे लोगों की पहचान की जा सके। गोगोई का जन्म असम के डिब्रूगढ़ में ही हुआ है।

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5. अमिताभ बच्चन की आय का मामला
रंजन गोगोई ने साल 2016 में बतौर सुप्रीम कोर्ट के जज अमिताभ बच्चन की आय, टैक्स रिटर्न मामले में फैसला सुनाया था। जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस पीसी पंत की पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा साल 2012 में इस मामले में दिए गए फैसले को खारिज करते हुए बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन की आय व टैक्स रिटर्न की दोबारा जांच किए जाने का निर्देश दिया था।

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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने देश के सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा बनाए रखने के लिए भी आवाज उठाई। जनवरी 2018 में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्य प्रणाली से नाराज गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट के जज एकसाथ न्यायालय के आंतरिक मामलों को लेकर मीडिया के सामने सार्वजनिक रूप से आए थे।

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