नईदिल्ली। देशवासियों को महंगी दवाओं से राहत मिल सकती है, इसके लिए घरेलू दवा इंडस्ट्री और कारोबारियों ने प्राइस कंट्रोल से बाहर की दवाओं पर ट्रेड मार्जिन 30 फीसदी तक रखने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जता दी है। इस कदम से देश में लगभग 80 फीसदी दवाओं की कीमतें घटेंगी।
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शुक्रवार को ड्रग प्राइस रेग्युलेटर, फार्मा लॉबी ग्रुप तथा उद्योग संगठनों के बीच हुई बैठक में प्रस्ताव पर सहमति जताई गई है। सूत्रों के अनुसार ट्रेड मार्जिन पर 30% की ऊपरी सीमा को अन्य प्रस्तावों जैसे प्राइस कंट्रोल वाली दवाओं सहित तमाम दवाओं पर फ्लैट 100% ट्रेड मार्जिन पर तवज्जो दी गई।
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इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) के अनुसार, ‘ट्रेड मार्जिन के रेशनलाइजेशन में हमें कोई परेशानी नहीं है। कैंसर रोग की दवाओं पर भी ट्रेड मार्जिन को 30% पर फिक्स किया गया है, वह भी ठीक है। अगर इसे अन्य उत्पादों पर भी लागू किया जाता है, तो इसे चरणबद्ध तरीकों से लागू किया जाना चाहिए।’
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सरकार के इस कदम से जेनरिक डिविजंस के साथ बड़ी फार्मा कंपनियों जैसे सन फार्मा, सिप्ला तथा ल्यूपिन पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि उन्हें मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) में कटौती करनी पड़ेगी। मैनकाइंड फार्मा के चेयरमैन आरसी जुनेजा ने ट्रेड मार्जिन को 30% पर फिक्स करने के प्रस्ताव को उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा है कि इससे इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा।
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