नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार और आरएसएस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ‘भारत की शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिसकी अपनी आवाज हो और स्वतंत्र विचार को व्यक्त करने की शक्ति से परिपूर्ण हो‘। उन्होंने कहा, ‘देश में ऐसा लग रहा है कि एक विचारधारा थोपी जा रही है। आज किसान, मजदूर, नौजवान हर कोई कह रहा है कि 1.3 अरब का देश किसी एक खास विचार के जरिए नहीं चलाया जा सकता।’
राहुल गांधी राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में देश भर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार आरएसएस की विचारधारा को शिक्षा प्रणाली पर थोप रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पूरे देश की शिक्षा प्रणाली को देखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। ऐसे में मैं समझ सकता हूं कि मोदी सरकार कितने दबाव और डर में काम कर रही है, क्योंकि एक विचारधारा सरकार पर थोपी हुई है। लेकिन अरबों की आबादी वाले देश में एक विचारधारा नहीं थोपी जा सकती।
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कार्यक्रम में राहुल ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की समस्या पर सवाल पूछे जाने पर अपनी राय रखी। एडहॉक शिक्षकों की समस्या पर भी कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने विचार रखे। अनुबंध पर शिक्षकों रखे जाने की व्यवस्था पर उन्होंने कहा, ‘शिक्षक को कांट्रैक्ट पर रखते हैं और कोई भविष्य नहीं देते और इससे कक्षा में सद्भाव नहीं होता, यह व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘शिक्षा व्यवस्था में बढ़ती लागत एक समस्या है। यह वहां पहुंच चुका है जो अस्वीकार्य है।’
संबोधन के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा- ‘मैने सुना है कि मोहन भागवत कहते हैं कि वो देश को सुव्यवस्थित कर रहे हैं, मैं जानना चाहता हूं कि वो कौन होते हैं, देश को बदलने वाले। क्या वो भगवान हैं‘। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाले घोषणापत्र पर इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा कि सरकार बनने के बाद प्रतिवर्ष कितना खर्च शिक्षा पर किया जाएगा।
वेब डेस्क, IBC24
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