राम जन्मभूमि विवाद : मुस्लिम पक्षकारों के वकील बोले- 'है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़...' | Ram Janmabhoomi dispute: Advocates of Muslim parties said

राम जन्मभूमि विवाद : मुस्लिम पक्षकारों के वकील बोले- ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़…’

राम जन्मभूमि विवाद : मुस्लिम पक्षकारों के वकील बोले- 'है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़...'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:05 PM IST, Published Date : September 17, 2019/8:34 am IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की हर दिन हो रही सुनवाई के तहत 25वें दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने अपना पक्ष रखा। राजीव धवन ने कहा कि भगवान राम की पवित्रता पर कोई विवाद नहीं है। इसमें भी विवाद नहीं है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में कहीं हुआ था। लेकिन इस तरह के पवित्र स्थान को एक न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए ये कब पर्याप्त होगी। इसके लिए कैलाश पर्वत जैसी अभिव्यक्ति होनी चाहिए। इसमें विश्वास की निरंतरता होनी चाहिए और यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की गई थी।

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सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने अल्लामा इकबाल की शायरी का जिक्र कर राम को इमामे हिन्द बताते हुए उन पर गर्व करने की बात कही। इस दौरान राव धवन ने अजीबोगरीब तर्क देते हुए कहा कि, बाद में वो बदल गए थे और पाकिस्तान के समर्थक बन गए थे। सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कोर्ट में अल्लामा इक़बाल का मशहूर शेर भी पढ़ा, ‘है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़…अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद.’

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इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील धवन से पूछा, तो क्या आप कह रहे हैं कि कुछ शारीरिक अभिव्यक्ति होनी चाहिए। क्या जगह को व्यक्ति बनाने के लिए मापदंडों को निर्धारित करना बहुत मुश्किल नहीं होगा। राजीव धवन ने इस पर जवाब दिया, कोई भी ग्रंथ ये बताने में सक्षम नहीं है कि अयोध्या में किस सटीक स्थान पर भगवान राम का जन्म हुआ था।

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सुप्रीम कोर्ट में जिरह के साथ ही कोर्ट ने राजीव धवन से पूछा कि भगवान का स्वयंभू होना क्या सामान्य प्रक्रिया है। ये कैसे साबित करेंगे कि राम का जन्म वहीं हुआ या नहीं। मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने ने कहा कि यही तो मुश्किल है। रामजन्मस्थान का शिगूफा तो ईस्ट इंडिया कम्पनी ने 1855 में छोड़ा और हिंदुओं को वहां रामचबूतरा पर पूजा पाठ करने की इजाज़त दी गई।

 

 
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