नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट में 0.25% कटौती का फैसला किया है। एमपीसी के इस फैसले के बाद रेपो रेट अब 6.50% से घटकर 6.25% हो गया। समिति के इस फैसले से मध्यवर्ग को लाभ हो सकता है क्यों इससे होम लोन सस्ता हो सकता है।
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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एमपीसी के फैसलों के बारे में जानकारी दी। समिति के दो सदस्यों चेतन घाटे और विरल आचार्य ने नीतिगत दर यथावत रखने के पक्ष में मत दिया था। हालांकि रिजर्व बैंक के रुख को बदलकर तटस्थ करने का फैसला आम सहमति से किया गया। वहीं इसके पहले एसबीआई ने ग्राहकों को राहत देते हुए बेस रेट आधारित ब्याज दरों में 0.30 फीसदी की कटौती की है । जो एक जनवरी 2018 से ही लागू किया गया है।
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एसबीआई ने मौजूदा ग्राहकों के लिए बेस रेट आधारित ब्याज दर 8.95 प्रतिशत से 8.65 प्रतिशत कर दिया है। इतना ही नहीं वैश्विक मांग में सुस्ती और वाणिज्यिक क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण के सीमित दायरे के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए बैंकों का कुल ऋण उठाव तथा सकल वित्तीय प्रवाह मजबूत है, लेकिन इसका दायरा अब भी पर्याप्त रूप से विस्तृत नहीं है।
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कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और रुपए में हालिया गिरावट के बावजूद वैश्विक मांग में सुस्ती संकट पैदा कर सकती है। व्यापार युद्ध और उससे जुड़ी अनिश्चितता के कारण वैश्विक विकास की रफ्तार भी धीमी है। उसने कहा कि इन कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए भी विकास दर 7.5 प्रतिशत से घटा दिया गया है। अब इसके 7.2 से 7.4 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। आगामी वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए पहली बार विकास अनुमान जारी करते हुए आरबीआई ने इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। साथ ही पूरे वित्त वर्ष में विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने की बात कही है।