रायपुर। RSS के गोबर खरीदी का स्वागत करने पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि भाजपा नेता अपनी राजनीति की सीख संघ से ही लेते हैं और गोबर खरीदी के मामले में विरोध करने से पहले एक बार संघ से पूछ लेना चाहिए। और संघ को भी चाहिए कि वे भाजपा नेताओं को थोड़ा बौद्धिक देकर बताएं कि गोबर ख़रीदने के सरकार के फ़ैसले का स्वागत क्यों करना चाहिए?
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प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के नेताओं ने सत्ता में 15 वर्ष रहते हुए गाय को सिर्फ वोट मांगने के लिए उपयोग किया और जब भूपेश सरकार ने ‘नरवा गरुवा घुरुवा बारी’ योजना लागू की तब से उन्हें तकलीफ़ हो रही है। अब जब सरकार ने गोबर खरीदने की घोषणा की है तो भाजपा के नेताओं की तकलीफ़ और बढ़ गई है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर तो सारी सीमाओं को लांघकर दुष्प्रचार करने में लग गए हैं और राजनांदगांव विधायक रमन सिंह भी उनका समर्थन करते नजर आये।
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प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह सरकार ने गौरक्षा के नाम पर गौशालाएं बनवाईं और 15 साल के रमन सिंह सरकार में उनको करोड़ों रुपए का अनुदान भाजपा नेताओं की गौशालाओं को सरकार की ओर से मिलता रहा। गौशालाओं की अनुदान राशि की भाजपा सरकार के 15 साल में लगातार बंदरबांट की गयी। भाजपा को इसी बात की तकलीफ है कि भूपेश सरकार क्यों गाय और गोबर को सम्मान देने की बात कर रही है।
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प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा नेताओं द्वारा लगातार किया जा रहा गोबर खरीदी का उपहास न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रति उनकी नासमझी दर्शाता है बल्कि सीधे-सीधे हिन्दू धर्म का, भारतीय परंपरा का और छत्तीसगढ़ की अस्मिता और स्वाभिमान का अपमान भी करता है। संचार विभाग प्रमुख ने कहा है कि गोबर को तो बहुत पवित्र माना जाता है। गौरी गणेश को गोबर से ही बनाया जाता है। हर पवित्र काम के पहले पूजा स्थल को गोबर से लीपकर पवित्र किया जाता है। पंचगव्य में गोबर सम्मिलित है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन खुंदाने के बाद गोबर से माथे को तिलक करते हैं। यदि उस गोबर को सरकार अर्थव्यवस्था से जोड़ रही है, पशुपालकों, किसानों और मजदूरों की बेहतरी के लिये काम कर रही है तो भाजपा के नेताओं को हो रहा दर्द समझ के परे है।
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शैलेश नितिन त्रिवेदी ने आगे कहा है कि वैसे तो संघ और भाजपा नेताओं के प्रिय नेता विनायक दामोदर सावरकर की भावनाएं भी गाय और गोबर को लेकर बहुत बुरी थीं और भाजपा राज में जब गौवंश के साथ अत्याचार हो रहा था तब भी संघ चुप रहा। लेकिन अगर अब संघ को सद्बुद्धि आ गई है तो उन्हें चाहिए कि वे अपने अनुसांगिक राजनीतिक संगठन भाजपा के नेताओं को भी कुछ बौद्धिक दें और उनसे कहें कि वे बिना हिचके सरकार की गोबर खरीद योजना का स्वागत करें।
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