क्या धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक सीमित? - प्रणब की किताब में सवाल | Secularism limited only to Hindu saints? question raised in Pranab's book

क्या धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक सीमित? – प्रणब की किताब में सवाल

क्या धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक सीमित? - प्रणब की किताब में सवाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : October 28, 2017/7:33 am IST

प्रणब मुखर्जी ‘द कोएलिशन ईयर्स: 1996-2012 क्या बोल रही सोनिया के बारे में 

 पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘द कोएलिशन ईयर्स: 1996-2012’  केंद्र की विभिन्न गठबंधन सरकारों का लेखाजोखा है.मुखर्जी एक कुशल एवं मंजे हुए राजनीतिक नेता हैं. उनकी  पुस्तक में राजनीतिक कार्यकर्ता की नजर से 1996-2004 तक की लंबी राजनीतिक यात्रा को समझाने एवं समीक्षा का प्रयास किया गया है . पुस्तक किसी इतिहासकार की नजर से नहीं बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के नजर से लिखी गई है. इस किताब के बारे में स्वम प्रणब मुखर्जी कहते हैं  कि    1996 से लेकर 2004 के बीच पुस्तक में देवगौड़ा सरकार, गुजराल सरकार, वाजपेयी सरकार और मनमोहन सरकार के कामकाज का ब्यौरा दिया गया है.प्रणब दा ने खुलासा किया है कि किस तरह सोनिया गांधी के नेतृत्व में हिंदुओं को टारगेट कर फंसाया गया है। हालांकि प्रणब दा ने सोनिया गांधी पर सीधा निशाना नहीं साधा है, लेकिन कांग्रेस की नीतियों का तो कच्चा चिट्ठा जरूर खोल दिया है। नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के भीतर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया था। जिस वक्त गिरफ्तारी की गई थी, तब वो 2500 साल से चली आ रही त्रिकाल पूजा की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन पर अश्लील सीडी देखने और छेड़खानी जैसे घिनौने आरोप भी लगाए गए थे। दरअसल प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द कोएलिशन इयर्स 1996-2012’ में इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि “मैं इस गिरफ्तारी से बहुत नाराज था और कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया भी था। मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है?

वंदेमातरम का भी विरोध करती रही है कांग्रेस

आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी। जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे। नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी। जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है। आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है। जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं।

 

हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी है कांग्रेस

16 मई, 2016 को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। बहस सामान्य थी कि ट्रिपल तलाक और हलाला मुस्लिम महिलाओं के लिए कितना अमानवीय है, लेकिन सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और AIMPLB के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक और हलाला की तुलना राम के अयोध्या में जन्म से कर डाली। कपिल सिब्बल ने दलील दी है जिस तरह से राम हिंदुओं के लिए आस्था का सवाल हैं उसी तरह तीन तलाक मुसलमानों की आस्था का मसला है। साफ है कि भगवान राम की तुलना, तीन तलाक और हलाला जैसी घटिया परंपराओं से करना कांग्रेस और उसके नेतृत्व की हिंदुओं की प्रति उनकी सोच को ही दर्शाता है। 2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी वगैरह काल्पनिक किरदार हैं इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है। राहुल गांधी ने एक बार कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं वो लड़कियां छेड़ते हैं। यह बयान भी कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व की हिंदू विरोधी सोच की निशानी थी।

 

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को कांग्रेस ने फंसाया

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ने देश के आगे एक बड़े सवाल को फिर से खड़ा कर दिया है। सवाल ये कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए बेहूदे आरोपों के पीछे कौन था? अब तक मोटे तौर पर यह माना जाता रहा है कि कांची पीठ के शंकराचार्य को झूठे मामले में फंसाकर गिरफ्तार करवाने की पूरी साजिश उस वक्त मुख्यमंत्री रहीं जयललिता ने अपनी सहेली शशिकला के इशारे पर रची थी। उस वक्त इस सारी घटना के पीछे किसी जमीन सौदे को लेकर हुआ विवाद बताया गया था, लेकिन अब प्रणब दा के खुलासे से साफ हो गया है गिरफ्तारी सिर्फ जयललिता की मर्जी से नहीं, बल्कि सोनिया गांधी के इशारे पर हुई थी। दरअसल ये वो दौर था जब सोनिया और जयललिता के बीच काफी करीबियां थीं।

ईसाई मिशनरियों की साजिश का शिकार बने थे शंकराचार्य 

दरअसल जब से सोनिया गांधी सत्ता के शीर्ष को हैंडल कर रही हैं तब से ही वह हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी हैं। हिंदुओं के सामाजिक ताने-बाने को भी तार-तार करने में लगी हैं। शंकराचार्य की गिरफ्तारी सिर्फ भारत के हिंदू समाज के सर्वश्रेष्ठ महात्मा को अपमानित करने के लिए की गई थी। यह स्पष्ट है कि हिंदू धर्म के इतने बड़े संत को गिरफ्तार करके मीडिया में उपहास उड़वाने का काम ईसाई साजिश का ही हिस्सा था।यह बात भी सामने आती रही है कि दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को बेरोक-टोक फैलाने के लिए कांची के शंकराचार्य को जानबूझकर फंसाया गया था। जिस समय मीनाक्षीपुरम में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की घटनाओं से पूरा हिंदू समाज सकते में था, तब कांची मठ ने सचल मंदिर बनाकर उन्हें दलित बस्तियों में भेजा और कहा कि अगर वो मंदिर तक नहीं आ सकते तो मंदिर उन तक पहुंचेगा। सामाजिक बराबरी के लिए जितनी कोशिश कांची मठ ने की उतनी शायद और किसी हिंदू संस्थान ने नहीं की होगी। यही कारण था कि वो ईसाई मिशनरियों को खटक रहे थे। उनकी गिरफ्तारी आंध्र प्रदेश से की गई थी, जहां पर कांग्रेस की सरकार थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें तमिलनाडु की वेल्लोर जेल में रखा गया। जहां उनके साथ टॉर्चर भी किया गया।

शंकराचार्य की गिरफ्तारी के बहुत सारे तथ्य छिपा ले गए हैं प्रणब मुखर्जी

माना जा रहा है कि ये प्रणब मुखर्जी के दबाव का ही नतीजा था कि बाद में मनमोहन सिंह ने इस मामले में जयललिता को चिट्ठी लिखकर चिंता जताई थी, लेकिन तब की सुप्रीम नेता सोनिया गांधी इस मसले पर चुप्पी साधे रहीं। अपनी किताब में प्रणब मुखर्जी इस मसले को छूकर निकल गए हैं, लेकिन इसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक न एक दिन यह सच्चाई सामने आएगी कि हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु को गिरफ्तार करके उन्हें अपमानित करने की साजिश के पीछे असली गुनहगार कौन था। दरअसल सोनिया गांधी का एकमात्र एजेंडा भारत में ईसाई धर्म को फैलाना रहा है।

10 वर्षों तक हिंदू धर्मगुरु जयेंद्र सरस्वती को कांग्रेस ने रखा सलाखों के पीछे

कांचीपुरम के वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक शंकररामण की हत्‍या 3 सितंबर 2004 को कर दी गई थी। इस हत्‍याकांड में कुल 24 लोगों पर आरोप लगाये गये थे और जयेंद्र सरस्‍वती को प्रमुख आरोपी बनाया गया। बाद में उसके कनिष्ठ विजयेन्द्र को भी गिरफ्तार किया गया। नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया। सुनवाई के दौरान, 2009 से ले कर 2012 तक 189 गवाहों से पूछताछ की गई थी। उनमें से 83 मुकर गए। 27 नवंबर, 2013 को पुडुचेरी की अदालत ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र सरस्वती को बरी कर दिया।

हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था। मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं। जिन बेगुनाहों हिंदुओं को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हो रहे हैं। दरअसल मुंबई हमले के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे हिंदू संगठनों की साजिश का दावा किया था, लेकिन इसके पीछे दिमाग सोनिया गांधी और अहमद पटेल का माना जा रहा है। दिग्विजय के इस बयान का पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया और आज भी जब इस हमले का जिक्र होता है तो पाकिस्तानी सरकार दिग्विजय के हवाले से यही साबित करती है कि हमले के पीछे आरएएस का हाथ है। दिग्विजय के इस बयान पर उनके खिलाफ कांग्रेस ने कभी कोई कार्रवाई या खंडन तक नहीं किया।

मालेगांव ब्लास्ट में योगी और मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी कांग्रेस

यूपीए सरकार के दौरान मालेगांव ब्लास्ट मामले में उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को फंसाने की साजिश रची गई थी। यह दावा सोमवार यानी 23 अक्टूबर को बनारस में ब्लास्ट के आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी ने किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जांच अधिकारियों से मिलकर ये साजिश की थी। 9 साल बाद जमानत पर जेल से रिहा हुए सुधाकर चतुर्वेदी ने खुलासा किया कि कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार की सोची समझी साजिश के तहत जांच अधिकारी हेमंत करकरे के साथ मिलकर मालेगांव ब्लास्ट को भगवा आतंकवाद साबित करने में लगे थे।

 

कांग्रेस की हिंदू आतंकवाद की थ्योरी ने ले लिये असीमानंद के 10 साल

हाल में ही खुलासा हुआ है कि 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रैस में ब्लास्ट में पाकिस्तानी मुसलमानों को किस तरह बचाया गया और हिंदू को फंसाया गया। दरअसल समझौता ब्लास्ट केस के बहाने ‘हिन्दू आतंकवाद’ नाम का शब्द गढ़ा गया। हालांकि इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था, लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया। इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद को अमली जामा पहनाया जा सके। बड़ा सवाल ये है कि पाकिस्तानी आतंकवादी को छोड़ने का आदेश देने वाला कौन था? किसने पाकिस्तानी आतंकवादी को छोड़ने के लिए कहा? वो कौन है जिसके दिमाग में भगवा आतंकवाद का खतरनाक आइडिया आया?

 

ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं सोनिया गांधी

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने खुलकर कहा है कि भारत में हिंदू आबादी घट रही है क्योंकि हिंदू कभी धर्म परिवर्तन नहीं कराते। दरअसल देश में धर्मांतरण का एक बड़ा नेटवर्क चलाया जा रहा है। इसमें कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की शह है। अरुणाचल प्रदेश में तो उनका इंट्रेस्ट जगजाहिर है। दरअसल सोनिया गांधी पर बीते 10 साल में ईसाई मिशनरियों के जरिये खुद वहां पर रहने वाली आदिवासी जातियों का धर्मांतरण करवाने के आरोप हैं। अरुणाचल प्रदेश में 1951 में एक भी ईसाई नहीं था। 2001 में इनकी आबादी 18 फीसदी हो गई। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब अरुणाचल में 30 फीसदी से ज्यादा ईसाई हैं। अरुणाचल में धर्मांतरण का सिलसिला 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही शुरू हो गया था। तब पहली बार सरकार ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को अपने सेंटर खोलने की इजाज़त दी थी। माना जाता है कि राजीव गांधी पर दबाव डालकर खुद सोनिया ने वहां पर ईसाई मिशनरियों को घुसाया था।

 

कीलीक्स के खुलासे में भी आई थी हिंदू विरोध की बात

17 दिसंबर, 2010… विकीलीक्स ने राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई, 2009 को हुई बातचीत का एक ब्योरा दिया। राहुल गांधी की जो बात सार्वजनिक हुई उसने देश के 100 करोड़ हिंदुओं के बारे में राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी की सोच को सबके सामने ला दिया। राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, ”भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं।” जाहिर तौर पर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी हिंदुओं को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं चूकती। अमेरिकी राजदूत के सामने दिया गया उनका ये बयान कांग्रेस की बुनियादी सोच को ही दर्शाता है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ये किताब चुनावी शंखनाद  के समय में कितना निगेटिव संदेश  कांग्रेस के गलियारे में लेकर आएगी ये कहा नहीं जा सकता लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है की पुस्तक ‘द कोएलिशन ईयर्स: 1996-2012’  केंद्र की विभिन्न गठबंधन  का लेखाजोखा उजागर करने में सफल जरूर हो गयी है 

 

 

 

 

 
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