छोटा सत्र...बड़ा बवाल! चार दिन के छोटे सत्र में सदन में कौन से बड़े मुद्दों की गूंज सुनाई देगी? | Short session...big ruckus! What big issues will echo in the House in a short session of four days?

छोटा सत्र…बड़ा बवाल! चार दिन के छोटे सत्र में सदन में कौन से बड़े मुद्दों की गूंज सुनाई देगी?

छोटा सत्र...बड़ा बवाल! चार दिन के छोटे सत्र में सदन में कौन से बड़े मुद्दों की गूंज सुनाई देगी?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : July 20, 2021/6:16 pm IST

भोपाल: आगामी 9 अगस्त से मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन उससे पहले ही आरोप-प्रत्यारोप की सियासत शुरू हो गई है और मुद्दा बना है मानसून सत्र की अवधि। दरअसल सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर का हवाला देते हुए 4 दिन का सत्र बुलाया है, जिसपर कांग्रेस आरोप लगा रही है कि शिवराज सरकार मुद्दों पर चर्चा से बचने के लिए सत्र को छोटा रखा है। जबकि सत्ता पक्ष का दावा है कि चर्चा के लिए 4 दिन पर्याप्त है। अब सवाल ये है कि इस बार पलड़ा किसका भारी रहेगा? चार दिन के छोटे सत्र में सदन में कौन से बड़े मुद्दों की गूंज सुनाई देगी?

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मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 9 अगस्त से शुरू होगा, लेकिन सत्र को लेकर सियासी हंगामा अभी से शुरू हो गया है। इस बार के मानसून सत्र में कुल 4 बैठकें होंगी। छोटे सत्र को लेकर कांग्रेस ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। दरअसल मानसून सत्र में कांग्रेस विधायकों ने कोविड की मौतें, नेमावर में आदिवासी परिवार के नरसंहार, दलितों के खिलाफ हिंसा,पेट्रोल, डीजल और घरेलू गैस की आसमान छूती कीमतें, बिजली की ओवर बिलिंग,ओबीसी आरक्षण में पेंच, शासकीय कर्मचारियों की मांगे और राशन घोटाले जैसे बड़े मुद्दों को दमदारी से उठाने की तैयारी की थी। लेकिन सरकार ने सत्र को इतना छोटा कर दिया कि इन विषयों पर चार दिनों में चर्चा होना नामुमकिन है। अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी सरकार अहम मुद्दों पर चर्चा से डरती है इसलिए सत्र को छोटा रखा गया है। कांग्रेस 4 दिन के सत्र को 15 दिन बढ़ाने की मांग कर रही है।

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चार दिनों के मानसून सत्र में सरकार अनुपूरक बजट के साथ ही कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की तैयारी में है, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि चार दिनों के सत्र में पहला दिन श्रद्धांजलि में चला जाएगा। बाकी बचे तीन दिनों में सरकार प्रदेश के दूसरे मुद्दों के बजाए सिर्फ अपने हित के प्रस्तावों पर चर्चा करेगी, जो लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है। कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने सरकार के के कई मंत्री सामने आए। सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा कि कांग्रेस चार दिनों के सत्र में अपने मुद्दे उठाए सरकार जवाब देगी। लेकिन कांग्रेस पहले पार्टी के भीतर चल रहे घमासान की भी चिंता कर ले, पीएचई मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि सरकार कांग्रेस के आरोपों से घबराने वाली नहीं है।

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जाहिर है मध्यप्रदेश में पिछला सत्र भी तय समय से 10 दिन पहले खत्म हो गया था, लेकिन कांग्रेस इस बार आर पार की लड़ाई के मूड में है। कोविड से हुई मौतों को लेकर सत्ता पक्ष को घेरने के लिए कांग्रेस ने तगड़ी तैयारी की है। वो मानसून के छोटे सत्र को लेकर बीजेपी सरकार पर चर्चा से बचने का आरोप लगा रही है। दूसरी ओर सत्ता पक्ष भी विपक्ष के हर मुद्दों पर जवाब देने की तैयारी में है। दोनों पक्षों की तैयारियों को देखकर लगता है कि चार दिनों का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है।

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