खंडहर में तब्दील हो रहा 47 लाख की लागत से बना बंदरों का स्टरलाइजेशन सेंटर.. देखिए | Sterilization center of monkeys constructed at a cost of 47 lakhs proved to be useless

खंडहर में तब्दील हो रहा 47 लाख की लागत से बना बंदरों का स्टरलाइजेशन सेंटर.. देखिए

खंडहर में तब्दील हो रहा 47 लाख की लागत से बना बंदरों का स्टरलाइजेशन सेंटर.. देखिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:10 PM IST, Published Date : August 14, 2019/9:15 am IST

रायगढ़। रायगढ़ जिले में 47 लाख रुपए की लागत से बना बंदरों को स्टरलाइजेशन सेंटर बेकार साबित हो रहा है। सेंटर बनने के डेढ़ साल बाद यहां ट्रायल के नाम पर सिर्फ चार बंदरों का नसबंदी किया गया। इसके बाद से यहां एक भी बंदरों की नसबंदी नहीं की गई। योजना पर 47 लाख रुपए खर्च किये जा चुके हैं और दो डाक्टरों की नियुक्ति भी की गई थी। लेकिन न तो बंदरों को रेस्क्यू कर कहीं और शिफ्ट किया गया है न ही नसबंदी की गई। ऐसे में विभाग की उदासीनता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

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रायगढ़ जिले में बंदरों की बढ़ती संख्या पर लगाम कसने के लिए वन विभाग ने दो साल पहले देहरादून की एजेंसी से बंदरों का सर्वे कराया था। इस दौरान जिला मुख्यालय के आसपास तकरीबन 3 हजार बंदर पाए गए थे। इन बंदरों की वजह से जहां एयरपोर्ट में तकनीकी बाधाएं आ रही थी। बल्कि रेलवे स्टेशन में भी यात्रियों को परेशानी हो रही थी। इसके अलावा एनएच पर भी लगातार हादसे हो रहे थे। इसे देखते हुए वन विभाग को एजेंसी ने बंदरों की नसबंदी का विकल्प दिया था।

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राजधानी रायपुर में स्थित वन्य जीव बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद वन विभाग ने इंदिरा विहार में 48 लाख की लागत से स्टरलाइजेशन सेंटर बनाया था। जिसमें बंदरों के लिए अलग से केज होने के साथ साथ नसबंदी की व्यवस्था की गई थी। अधिकारियों को इसके लिए देहरादून ट्रेनिंग में भी भेजा गया था। वन अमले को भी बंदरों को पकडने के साथ साथ रेस्क्यू की ट्रेनिंग दी जानी थी। लेकिन डेढ़ सालों में वन विभाग स्टरलाइजेशन सेंटर का उपयोग ही नहीं कर पाया है। ट्रायल के नाम पर विभाग ने सिर्फ चार बंदों की नसबंदी की है। आलम ये है कि सेंटर बंद पड़े-पड़े खंडहर हो रहा है तो वहीं इक्यूपमेंट भी खराब हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि स्टरलाइजेशन सेंटर के लिए न तो कोई मांग आई थी न ही उतनी जरुरत थी। लेकिन योजना के नाम पर पैसों की बर्बादी की गई है।

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इधर मामले में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सेंटर के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण की जरुरत थी जिसके लिए दो डाक्टरों को भेजा गया था। उन्होंने ट्रायल शुरु कर दिया है। अब कर्मचारियों को ट्रेंड कर बंदरों को पकड़ा जाएगा। साथ ही उनकी नसबंदी के बाद मार्किंग भी की जाएगी।

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