नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावी समर में सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन पश्चिम बंगाल सरकार को करारा झटका दिया है। दरसअल कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस के नेता की पत्नी के सामान की जांच करने के बाद कोलकाता एयरपोर्ट के कस्टम अधिकारियों का कथिततौर पर उत्पीड़न किए जाने के मामले को लेकर सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में कुछ ‘बहुत बहुत गंभीर’ चल रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते 4 हफ्ते के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी एक मामले में जमकर फटकार लगाई थी और 20 लाख रूपए जुर्माना भी लगाया था।
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मामले को लेकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि ‘किसी व्यक्ति ने किसी चीज की तरफ हमारा ध्यान आकर्षित किया है। यह बहुत बहुत गंभीर है। हम नहीं जानते कि किसके दावे प्रामाणिक हैं।’
इस मामले में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट के नोटिस जारी करने के फैसले का विरोध किया है। याचिकाकर्ता राजकुमार सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस ऐंड कस्टम्स के सदस्य हैं और इसलिए उनके पास याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। अभिषेक के विरोध पर कोर्ट ने कहा कि ‘जो कुछ भी पश्चिम बंगाल में चल रहा है, हम उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। अगर जरूरी हुआ तो हम खुद घटनाओं पर स्वत: संज्ञान ले सकते हैं और मामले की तह तक जा सकते हैं।’
जानिए क्या था मामला
गौरतलब है कि केद्र ने 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया था कि कोलकाता स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद की पत्नी के सामान की जांच करने पर स्थानीय पुलिस अधिकारी ने उनको धमकी देते हुए उत्पीड़न किया था। बताया जा गया था कि जिस महिला के सामाना की जाच की गई थी वो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रिश्तेदार हैं। बताया यह भी गया कि जांच के दौरान महिलाओं ने अधिकारियों को अपशब्द भी कहे थे।
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