देश की सबसे बड़ी हाउसिंग कंपनी दीवालिया होने के कगार पर, 85 हजार करोड़ के कर्ज के बाद एनसीएलटी में कर सकती है आवेदन | The country's largest housing company, on the verge of bankruptcy, can apply to NCLT after a loan of 85 thousand crores.

देश की सबसे बड़ी हाउसिंग कंपनी दीवालिया होने के कगार पर, 85 हजार करोड़ के कर्ज के बाद एनसीएलटी में कर सकती है आवेदन

देश की सबसे बड़ी हाउसिंग कंपनी दीवालिया होने के कगार पर, 85 हजार करोड़ के कर्ज के बाद एनसीएलटी में कर सकती है आवेदन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : November 19, 2019/1:49 pm IST

नईदिल्ली। हाउसिंग कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (डीएचएफएल) के दिवालिया होने के आसार हैं। कंपनी इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जल्द आवेदन कर सकती है। अगर कंपनी ने इसके लिए आवेदन नहीं किया, तो बैंक अपनी तरफ से ऐसा कर सकते हैं। सरकार के एक नोटिफिकेशन के बाद अब यह कंपनी भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सकती है।

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कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 18 नवंबर को जारी एक नोटिफिकेशन में इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के सेेक्शन 227 में बदलाव करते हुए कहा है कि अब 500 करोड़ से ज्यादा की वैल्यू वाली एनबीएफसी कंपनियां भी दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकती हैं।

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में ले जाने के लिए बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। बैंक अब डीएचएफएल की फाइल को सीधे एनसीएलटी में भेज सकती हैं। कंपनी पर कुल 85 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। केवल बैंकों का ही 38 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। साल 2017 से अब तक यूपीपीसीएल ने 4,100 करोड़ रुपये से ज्यादा का रिटायरमेंट फंड हाउसिंग फाइनेंस कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश किया है। इसमें से यूपीपीसीएल को केवल 1,855 करोड़ रुपये ही मिले हैं।

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साल 2017-18 में ऑडिट की गई वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार डीएचएफएल की कुल संपत्ति 8,795 करोड़ रुपये है, जबकि लेनदारी बहुत ज्यादा है। कंपनी ने बैंकों के साथ-साथ वित्तीय संस्थानों से 96,880 करोड़ रुपये का कर्जा ले रखा है। वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कम से कम 36 बैंकों से कर्ज लिया है- जिसमें 32 राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों के साथ-साथ छह विदेशी बैंक भी शामिल हैं।

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डीएचएफएल के रिजॉल्यूशन प्लान के अनुसार, कंपनी पर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (एनसीडी) का 41.431 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं बैंकों का 27,527 करोड़ रुपये, 6,188 करोड़ की एफडी, 2,747 करोड़ रुपये की एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (ईसीबी), नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के 2,350 करोड़, सब-कर्ज और पर्पेचुअल कर्ज क्रमश: 2,267 करोड़ और 1.263 करोड़ रुपये और कमर्शियल पेपर 100 करोड़ रुपये के हैं। इस तरह कंपनी पर कुल 83,873 करोड़ रुपये बकाया है।

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