कोण्डागांव। गांव के प्रमुख लोगों ने चौपाल में एक बैठक करके सरपंच को बुलाया। सरपंच के नहीं आने पर उसे गांव से बहिष्कृत कर दिया गया तथा उन का हुक्का पानी बंद कर दिया गया। गांव में मुनादी करवाकर कड़ी चेतावनी दे दी गई कि सरपंच के घर में कोई जाएगा तो उसे जुर्माना देना होगा। सरपंच के घर में किसी भी ग्रामीण का आना जाना बंद हो गया, लेकिन सरपंच ने हार नहीं मानी और वह दो प्रस्तावक एवं समर्थक के माध्यम से नामांकन किया और फिर से सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
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मामला कोंडागांव जिला के बडेराजपुर जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिचाड़ी का है। गांव में कुल 564 मतदाता हैं। चुनावी मैदान में 5 प्रत्याशी थे, सरपंच देवी राम कोर्राम को 200 मत पड़े हैं और उसने 117 मतों से जीत हासिल किया। चुनाव जीतने के बाद वह रविवार को सामूहिक भोज का आयोजन किया।
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विगत चुनाव में भी ग्राम पंचायत चिचाडी में देवी राम कोराम जो कि पैर से दिव्यांग है। उसे सरपंच चुना गया था। वह अपने कार्यकाल में किसी प्रकार के विवादों में नहीं रहा किंतु गांव में शौचालय के भुगतान को लेकर ग्रामीणों ने बैठक की। जहां गांव के सभी लोग शामिल हुए थे, ग्राम प्रमुखों ने स्वयं को मुखिया बताकर सरपंच को बैठक में बुलाया, सरपंच देवीराम वहां किसी कारणवश नहीं पहुंच पाये जिससे आक्रोशित होकर सरपंच को ही गांव से बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया गया तथा गांव में मुनादी कराते हुए उनका हुक्कापानी भी बंद कर दिया। गांव के किसी भी दुकान से उनको सामान नहीं देने की हिदायत दे दी गई तथा किसी भी हैंडपंप या कुएं से वह पानी का उपयोग भी ना करें ऐसा उसे चेतावनी दिया गया। देवी राम से किसी भी प्रकार का संबंध रखने वाले पर 7051 रूपए का जुर्माने का प्रावधन किया गया, उसके पीछे निगरानी करते रहे किंतु दिव्यांग सरपंच ने हार नहीं मानी।
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इस संबंध में सरपंच चुने जाने के बाद देवी राम कोराम ने बताया कि उसे आज बेहद खुशी हुई है कि वह दिव्यांग होने तथा गांव वालों के द्वारा बहिष्कार करके हुक्का पानी बंद कर दिए जाने के बाद भी उसे मतदाताओं का आशीर्वाद मिला। वह अब पूरे 5 वर्ष तक गांव वालों की सेवा करेगा। उसने बताया कि वह पूर्व में भी भ्रष्टाचार से दूर रहकर ग्रामीणों की सेवा किया था किंतु कुछ लोगों ने दुर्भावना वश उसे सरपंच पद पर दोबारा ना लड़ पाए इस नियत से बहिष्कार की साजिश रची गई।
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गांव के बुजुर्ग मुखिया लच्छू राम कश्यप ने बताया कि सरपंच देवीराम कोर्राम के द्वारा शौचालय निर्माण की राशि देने में देर किया, जिससे यह शर्त रखा गया था कि तीन दिन के अंदर ग्रामीणों को शौचालय की राशि का भुगतान नहीं करने पर उनको गांव से बहिष्कार किया जाएगा। देवीराम तीन दिन तक पैसा नहीं दे पाया जिससे बहिष्कार कर दिया गया।
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गांव के दुकानदार शिवलाल ने बताया कि गांव के ग्रामीणों के द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद वह देवी राम को सामान नहीं दे रहे थे। वह भी सामान के लिए दुकान में नहीं आता था। वह अन्य गांव के दुकानों से सामान लाता था। देवी राम को गांव वालों ने इस तरह प्रताड़ित किया था कि उसे पानी के लिए भी गांव से 3 किलोमीटर दूर लिहागांव पंचायत से पानी लाना पड़ता था।
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