पैंगोंग में इंडियन आर्मी ने सिखाया सबक तो तिलमिलाया ड्रैगन, मुखपत्र के जरिए अलापा युद्ध का राग | The Indian Army taught a lesson in Pangong then the stunned dragon Battle of Alapa war through mouthpiece

पैंगोंग में इंडियन आर्मी ने सिखाया सबक तो तिलमिलाया ड्रैगन, मुखपत्र के जरिए अलापा युद्ध का राग

पैंगोंग में इंडियन आर्मी ने सिखाया सबक तो तिलमिलाया ड्रैगन, मुखपत्र के जरिए अलापा युद्ध का राग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : September 1, 2020/7:21 am IST

बीजिंग। जिनपिंग सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भारत को गीदड़ भभकी देते हुए एक संपादकीय में कहा है कि अगर भारत उसके साथ किसी तरह का कॉम्पीटिशन करता है तो उसे और अधिक नुसाकसा सहना पड़ेगा। 1962 के युद्ध की याद दिलाते हुए ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन की सेना भारत को पहले से अधिक नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। दरअसल, 29 और 30 अगस्त की रात चीनी सेना ने लद्दाख में घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय जवानों ने उन्हें वापस खदेड़ दिया चीनी मीडिया में इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लद्दाख में दोनों देशों के बीच ताजा झड़प पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक चोटी को लेकर हुई है।

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घुसपैठ की कोशिश में असफल होने के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी सेना ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) को पार नहीं किया। इसी दिन, चीनी सेना के प्रवक्ता ने मांग की थी कि भारत अपनी सेना पीछे हटाए। ग्लोबल टाइम्स ने अपने विशेष संपादकीय में लिखा, भारत ने अपने बयान में कहा कि उसने चीनी सेना की गतिविधि को पहले ही रोक दिया है, इससे पता चलता है कि भारतीय सेना ने संघर्ष की पहल की है।

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ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के हालात नियंत्रण से बाहर है। रविवार को भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले 78,000 पहुंच गए। अर्थव्यवस्था की स्थिति भी खराब है। सीमा पर उकसाने की वाली गतिविधियों को अंजाम देकर भारत अपनी घरेलू समस्याओं से ध्यान भटकाना चाहता है। संपादकीय में लिखा गया है, इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत एक बेहद ताकतवर चीन का सामना कर रहा है। पीपल्स लिबरेशन आर्मी के पास देश की एक-एक इंच जमीन की सुरक्षा करने के लिए पर्याप्त सुरक्षित फोर्स है। चीन के लोग भले ही भारत को संघर्ष के लिए उकसाना नहीं चाहते हैं लेकिन चीन के भू-भाग पर कब्जा की अनुमति कभी नहीं देंगे।

ग्लाबल टाइम्स ने लिखा कि चीन दक्षिण-पश्चिम सीमाई इलाकों में रणनीतिक रूप से मजबूत है और किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। अगर भारत शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व चाहता है तो इसका स्वागत है। लेकिन अगर भारत किसी भी तरह की चुनौती देना चाहता है तो चीन के पास भारत के मुकाबले ज्यादा हथियार और क्षमता है। अगर भारत सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करना चाहता है तो पीएलए भारतीय सेना को 1962 से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की ताकत रखती है।

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ग्लोबल टाइम्स ने भारत को मिल रहे अमेरिकी समर्थन पर कहा कि भारत को अमेरिका के समर्थन को लेकर किसी भी तरह का भ्रम पालने की जरूरत नहीं है और ना ही चार देशों के साथ गठबंधन के तहत रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की। चीन-भारत का मुद्दा द्विपक्षीय मुद्दा है और अमेरिका सिर्फ भारत को समर्थन की बात कह सकता है। अमेरिका चीनी क्षेत्र कब्जाने में भारत की मदद कैसे कर पाएगा। अमेरिकियों के दिमाग में चल रहा है कि भारत और चीन एक-दूसरे में व्यस्त रहें ताकि भारत को अमेरिका की चीन को रोकने की रणनीति में अहम मोहरा बनाया जा सके ।

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ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा है, पैंगोंग लेक में हुआ संघर्ष दिखाता है कि भारत ने गलवान घाटी से कोई सबक नहीं लिया है। वो अब भी चीन को उकसाना चाहता है। 2017 में डोकलाम के बाद से भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं।चीन-भारत सीमा पर विवाद लंबा खिंच सकता है और कई तरह के छोटे-बड़े संकट सामान्य बात हो जाएगी। हमें इसके लिए तैयार होना चाहिए।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीन को बॉर्डर में तैयार रहना चाहिए। हमें शांतिपूर्ण तरीकों से अपने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन अगर भारत लगातार चीन को ललकारना जारी रखता है तो चीन  नरमी नहीं बरत सकता। जरूरत पड़ने पर चीन को सैन्य कार्रवाई करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि वो इसमें सफल भी हो।

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ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीन की क्षमता भारत से कई गुना बेहतर है, भारत का चीन से कोई मुकाबला ही नहीं है। हमें भारत की गलतफहमी को दूर करना चाहिए कि वो अमेरिका समेत अन्य ताकतों के साथ मिलकर चीन से टकरा सकता है। एशिया और दुनिया के इतिहास ने हमें बताया है कि अवसरवाद पर चलने वाली ताकतें कमजोर को परेशान करती हैं जबकि ताकतवर से डरती हैं। जब भारत-चीन सीमा की बात आती है तो भारत पूरी तरह से अवसरवादी है।

 

 
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