बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सिविल जज के पदों के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को उम्र सीमा में दी गई रियायत को हाईकोर्ट ने अमान्य कर दिया है। छत्तीसगढ़ के उन अभ्यर्थियों को बिलासपुर हाईकोर्ट ने झटका दिया है जो इस बात से खुश थे कि राज्य सरकार के द्वारा अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट दिए जाने के बाद वो सिविल जज परीक्षा के लिए योग्य हैं। सिविल जज प्रारंभिक की परीक्षा के लिए लोक सेवा आयोग ने अधिकतम आयु 35 वर्ष निर्धारित की है। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिविल जज की परीक्षा में राज्य सरकार के द्वारा उम्र में पांच वर्ष की छूट मान्य नहीं है।
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इस नियम के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगायी गयी थी कि जब सभी परीक्षाओं में स्थानीय निवासियों को 40 वर्ष तक की छूट प्राप्त है तो फिर सिविल जज की परीक्षा में क्यूं नहीं। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस विमला सिंह कपूर की डबल बेंच में सुनवाई हुई। राज्य शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि आयु में छूट देने का प्रावधान नीतिगत होता है और सिविल जज के पदों पर भर्ती के नियम भेदभाव पूर्ण नहीं हैं।
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हाईकोर्ट ने न्यायिक सेवाओं पर आयु को लेकर सुप्रीम कोर्ट, विभिन्न हाईकोर्ट और शेट्टी कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सिविल जज परीक्षा में शामिल होने वाला अभ्यर्थी छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को अधिकतम आयुसीमा में छूट देने को लेकर 30 जनवरी 2019 को जारी सर्कुलर का लाभ प्राप्त करने का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए 35 वर्ष के अधिक की आयु वाले स्थानीय निवासियों को न्यायिक पदों के लिए भर्ती में छूट देने से इंकार कर दिया है।