देश में किसान आंदोलन पर विदेशी आक्रमण क्यों ? UN ह्यूमन राइट्स ने भी की संयम की अपील | Why foreign attack on farmer movement in the country? UN Human Rights also appealed for restraint

देश में किसान आंदोलन पर विदेशी आक्रमण क्यों ? UN ह्यूमन राइट्स ने भी की संयम की अपील

देश में किसान आंदोलन पर विदेशी आक्रमण क्यों ? UN ह्यूमन राइट्स ने भी की संयम की अपील

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:46 PM IST, Published Date : February 6, 2021/11:45 am IST

रायपुर। भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने पहली बार बयान दिया है। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों दोनों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है। यूएन ह्यूमन राइट्स ने साथ ही नसीहत देते हुए कहा है कि शांतिपूर्ण तरीक़े से इकट्ठा होने और अभिव्यक्ति के अधिकारों की ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों जगह सुरक्षा होनी चाहिए। संस्था ने कहा कि ये ज़रूरी है कि सभी के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए न्यायसंगत समाधान निकाला जाए। ये पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र ने भारत में बीते दो महीने से ज़्यादा वक़्त से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान प्रदर्शन को लेकर कुछ कहा है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/India?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#India</a>: We call on the authorities and protesters to exercise maximum restraint in ongoing <a href=”https://twitter.com/hashtag/FarmersProtests?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#FarmersProtests</a>. The rights to peaceful assembly &amp; expression should be protected both offline &amp; online. It&#39;s crucial to find equitable solutions with due respect to <a href=”https://twitter.com/hashtag/HumanRights?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#HumanRights</a> for all.</p>&mdash; UN Human Rights (@UNHumanRights) <a href=”https://twitter.com/UNHumanRights/status/1357710206612946944?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 5, 2021</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

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किसान आंदोलन भारत का आंदोलन है यह बात किसी को समझाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? सवाल यह भी है कि आखिर भारत की छवि को खराब करने के लिए विदेशी हस्तियों को यह अधिकार किसने दिया? उन्हे बढ़ावा किसने दिया? क्या यह एक प्रोपेगेंडा नहीं है? इस मामले को लेकर देश को एकजुट रहने की बात कहने वालों को भी सोशल मीडिया में निशाना बनाया जा रहा है।

इससे पहले कुछ जानी-मानी विदेशी हस्तियां भी भारत के किसान आंदोलन को लेकर प्रतिक्रिया दे चुकी हैं, जिसपर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी। दो फरवरी को मशहूर अंतरराष्ट्रीय गायिका रिहाना ने इस मुद्दे पर ट्वीट किया था कि “इस बारे में कोई बात क्यों नहीं कर रहा है?“ बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने रिहाना के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी। कंगना ने लिखा – “कोई इस बारे में बात इसलिए नहीं कर रहा है क्योंकि वे किसान नहीं हैं वे आतंकवादी हैं, जो भारत को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चीन हमारे देश पर कब्ज़ा कर सके।“

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इसके बाद अमेरिकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और पूर्व पॉर्न स्टार मिया ख़लीफ़ा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट किया। पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया और मीना हैरिस ने लिखा कि “हम सभी को भारत में इंटरनेट शटडाउन और किसान प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की हिंसा को लेकर नाराज़गी जतानी चाहिए।“

रिहाना के ट्वीट के अगले दिन यानी तीन फरवरी को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर एक बयान जारी किया था। भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की ओर से किए गए ट्वीट्स के बाद किसी का नाम लिए बग़ैर टिप्पणी की और कहा कि सोशल मीडिया पर बड़ी हस्तियों को ज़िम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा, “भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी क़ानून पारित किया। ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाज़ार में व्यापक पहुंच देते हैं। ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं।“

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साथ ही कहा, “भारत के कुछ हिस्सों में किसानों का एक बहुत छोटा वर्ग इन सुधारों से सहमत नहीं है, भारत सरकार ने प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की है, इस कोशिश में अब तक ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है जिनमें केंद्रीय मंत्री हिस्सा ले रहे हैं सरकार ही नहीं, भारत के प्रधानमंत्री की ओर से इन क़ानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव भी दिया गया है।“ विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप्स की ओर से इन आंदोलनों को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है और इन निहित स्वार्थ समूहों में से कुछ ने भारत के खिलाफ़ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भी कोशिश की है।

मंत्रालय ने कहा कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले, हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाया जाए, और मुद्दों की उचित समझ पैदा की जाए। “मशहूर हस्तियों द्वारा सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों के प्रलोभन का शिकार होना, न तो सटीक है और न ही ज़िम्मेदार है।“ विदेश मंत्रालय ने अपने पोस्ट में दो हैशटैग का इस्तेमाल भी किया था और कहा था कि “इन विरोधों को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति के संदर्भ में और गतिरोध को हल करने के लिए सरकार और संबंधित किसान समूहों के प्रयासों के साथ देखा जाना चाहिए।“

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”und” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/IndiaTogether?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#IndiaTogether</a> <a href=”https://twitter.com/hashtag/IndiaAgainstPropaganda?src=hash&amp;ref_src=twsrc%5Etfw”>#IndiaAgainstPropaganda</a> <a href=”https://t.co/TfdgXfrmNt”>https://t.co/TfdgXfrmNt</a> <a href=”https://t.co/gRmIaL5Guw”>pic.twitter.com/gRmIaL5Guw</a></p>&mdash; Anurag Srivastava (@MEAIndia) <a href=”https://twitter.com/MEAIndia/status/1356853835361259520?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 3, 2021</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

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इसके बाद भारत सरकार के मंत्रियों समेत कई खिलाड़ियों, फ़िल्मी हस्तियों, गायिकाओं ने भी सरकार के समर्थन में ट्वीट किए। गृह मंत्री अमित शाह ने विदेश मंत्रालय के बयान के साथ ट्वीट करते हुए लिखा – “कोई भी दुष्प्रचार भारत की एकता को नहीं तोड़ सकता। कोई भी दुष्प्रचार भारत को नई ऊँचाई पर जाने से नहीं रोक सकता। भारत का भविष्य दुष्प्रचार से नहीं प्रगति से तय होगा। भारत प्रगति के लिए एक होकर खड़ा है।“ इसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने लिखा, “प्रोपगैंडा फैलाने वाले और फर्ज़ी बातें फैलाने वालों की कोशिशों के खि़लाफ़ हम एक साथ खड़े हैं।“

पूर्व क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने लिखा, “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। भारत में जो भी हो रहा है बाहरी ताकतें उसका दर्शक हो सकती हैं लेकिन प्रतिभागी नहीं। भारतीय भारत को जानते हैं और फ़ैसला उन्हें ही लेना है, आइए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहें।“ स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी ट्वीट किया, “भारत एक गौरवशाली राष्ट्र है। एक गौरवांवित भारतीय होने के नाते मेरा पूरा यक़ीन है कि बतौर राष्ट्र हमारी कोई भी समस्या हो या परेशानी, हम उसे सौहार्दपूर्ण तरीक़े से, जनहित की भावना के साथ हल करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।“ वहीं भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ने लिखा, “असहमति के इस दौर में हम सभी एकसाथ रहें। किसान हमारे देश का एक अभिन्न हिस्सा हैं और मुझे यक़ीन है कि सभी पक्षों सौहार्दपूर्ण समाधान निकाल लेंगें ताकि शांति बनी रहे और हम सब साथ मिलकर आगे बढ़ें।“ इसके अलावा भी भारत की कई जानी-मानी हस्तियों ने सरकार के समर्थन में ट्वीट किए थे।

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हद तो तब हो गई जब केरल में देश के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के पुतले पर कालिख पोत दी गई, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सचिन तेंदुलकर के एक ट्वीट को आधार बनाकर सड़कों पर प्रदर्शन किया और उनके पुतले में काला तेल डाल दिया। जबकि सचिन ने किसी भी पार्टी का पक्ष नहीं लिया था भारत रत्न ने सिर्फ इतना कहा था कि “भारत की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जा सकता। भारत में जो भी हो रहा है बाहरी ताकतें उसका दर्शक हो सकती हैं लेकिन प्रतिभागी नहीं। भारतीय भारत को जानते हैं और फ़ैसला उन्हें ही लेना है, आइए एक राष्ट्र के रूप में एकजुट रहें।“ सवाल यह है कि आखिर इस बात में कांग्रेस को भाजपा का पक्ष कहां दिखाई दिया। सचिन ने देश का पक्ष लिया था। लेकिन कांग्रेस ने देश के महान खिलाड़ी को भी नहीं बख्शा।

गौरतलब है कि नवंबर से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि क़ानून वापिस लिए जाएं, जबकि सरकार 18 महीनों तक इन क़ानूनों को ना लागू करने की बात कर रही है। दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे को लेकर कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया। इस बीच 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के भीतर आए, एक समूह ने लाल क़िले पर सिखों का केसरी झंडा भी लहरा दिया था। इस घटना के बाद से ही दिल्ली की सीमाओं पर (सिंधु, गाज़ीपुर और टिकरी बॉर्डर) पर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई। वहां बैरिकेडिंग और कॉन्क्रीट ब्लॉक्स के अलावा कंटीले तार बिछा दिए गए।

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किसान आंदोलन में आए दिन नए नए आंदोलन सामने आ रहे हैं, इसी कड़ी में आज पूरे देश में राष्ट्रीय हाइवे और राजमार्गों पर तीन घंटे का चक्काजाम किया। इस दौरान वाहनों की लंबी कतारें देखी गई, लोगों को परेशान होते भी देखा गया। वहीं विशेषज्ञों का एक वर्ग है जो किसान आंदोलन में कांग्रेस पार्टी के कूदने के बाद इसे राजनीतिक एजेंडा मानने लगा है, कांग्रेस के आंदोलन में सहभागी बनने के बाद किसानों के प्रति देश के लोगों के व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिल रहा है, किसान आंदोलन अब गौण होता जा रहा है, भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई खुलकर सामने आने लगी है, जाहिर है कि किसान आंदोलन को भी राजनीतिक नजरिए से देखा जाने लगा है।