Effect of “Bhadra” on Rakshabandhan : इस साल रक्षाबंधन के त्यौहार पर सभी लोग असमंजस में है कि किस दिन राखी का त्यौहार मनाया जाए, कुछ लोग कह रहे हैं कि रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को है और कुछ लोग रक्षाबंधन का त्यौहार 12 अगस्त को मनाने की सलाह दे रहे हैं। इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर “भद्रा” का साया है। ऐसे में रक्षाबंधन किस तिथि को और किस मुहूर्त में मनाना चाहिए इस बारे में आज हम जानेंगे।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
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Effect of “Bhadra” on Rakshabandhan : इस साल रक्षाबंधन किस दिन मनाए इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 11 को बांधे या फिर 12 को राखी बांधने का मुहूर्त शुभ रहेगा। इस विषय पर लोग काफी सोच विचार कर रहे हैं । इस विषय पर अगर बात की जाए तो अब आप अपनी सुविधा अनुसार एवं आस्था अनुसार दोनों दिन भी यह पर्व मना सकते हैं। पंडित एवं विभिन्न ग्रंथों में दिए गए नियमों के अनुसार, हम इस विषय पर बात करेंगे। दिवाकर पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को गुरुवार के दिन चंद्रमा मकर राशि एवं भद्रा पाताल लोक में होने से भद्रा का प्रभाव रहेगा। गुरुवार को भद्रा के बाद प्रदोष काल में रात्रि से 6 बजकर 20 मिनट से लेकर 10 बजकर 50 मिनट तक रक्षाबंधन मना लेना चाहिए। परंतु उत्तर भारत में उदय व्यापिनी पूर्णिमा के दिन अल सुबह को ही यह त्यौहार मनाने का प्रचलन है। 12 अगस्त , शुक्रवार को उदय काल पूर्णिमा भी राखी बांधी जा सकती है।11 अगस्त के दिन पूर्णिमा को चंद्रमा मकर राशि का होने की वजह से भद्रा काल का वास स्वर्ग में रहेगा, अर्थात शुभ फलदाई होगा और यह दिवस पूर्ण रूप से रक्षाबंधन मनाने योग्य है। 12 अगस्त शुक्रवार के दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 7:17 तक ही है। इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को लगभग सुबह 9:30 बजे के बाद पुण्यतिथि लगने के बाद ही मनाया जा सकता है।
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Effect of “Bhadra” on Rakshabandhan : किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है क्योंकि भद्रा काल में मंगल उत्सव की शुरूआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती हैं। अतः भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और राजा शनि की बहन है। भगवान शनि की तरह इनका स्वाभाव भी कठोर बताया गया है। इसके स्वाभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों जैेसे यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया वहीं भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनीतिक चुनाव कार्य शुभ फल देने वाले माने गए है।
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