वैक्सीन डिप्लोमेसी! दुनिया भर में भारत की जय-जयकार, रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर हुआ चीन | Vaccine Diplomacy! India cheers around the world, China forced to change strategy

वैक्सीन डिप्लोमेसी! दुनिया भर में भारत की जय-जयकार, रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर हुआ चीन

वैक्सीन डिप्लोमेसी! दुनिया भर में भारत की जय-जयकार, रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर हुआ चीन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : January 29, 2021/12:03 pm IST

रायपुर। कोरोना महामारी से जूझ रहे विश्व के कई देशों को संजीवनी देने का काम एक बार फिर से भारत ने की है। हिन्दुस्तान ने पड़ोसी देशों समेत कई देशों को मुफ्त वैक्सीन देकर मदद की है, उससे पूरी दुनिया में भारत की जय जयकार हो रही है। दुनियाभर में भारत की हो रही तारीफ से चीन भी अपनी वैक्सीन डिप्लोमेसी में बदलाव करने को मजबूर हो गया है। भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी को देखकर चीन ने पाकिस्तान के अलावे कुछ अन्य देशों को मुफ्त वैक्सीन देने का मन बनाया है। भारत पहले ही अपने पड़ोसी देशों को मुफ्त में टीका उपलब्ध करा चुका है। भारत दुनियाभर के देशों को टीका भेज रहा है, जिसके जवाब में अब चीन ने भी मुफ्त में टीका देना शुरू किया है। भारत ने एक ओर जहां नेपाल जैसे छोटे देश को दस लाख वैक्सीन दी है, वहीं चीन ने करीब 21 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान को 5 लाख वैक्सीन देने की पेशकश की थी।

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चीन ने पाकिस्तान को पांच लाख कोरोना वैक्सीन देने का वादा किया है, श्रीलंका को 3 लाख कोरोना टीके मुफ्त में देने का वादा किया है। चीन ने गुरुवार को कहा कि वह श्रीलंका को 3 लाख कोरोना टीके मुफ्त में देगा। इसी के साथ भारत-चीन के बीच वैक्सीन कूटनीति की रेस तेज होती दिख रही है। बताया जा रहा है कि श्रीलंका के अनुरोध पर चीन ने तीन लाख टीके भेजने का फैसला लिया। चीनी कंपनी सिनोफर्मा निर्मित कोरोना टीके की पहली खेप श्रीलंका को फरवरी मध्य तक मिल जाएगी। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि श्रीलंका को खुद से चीन ने वैक्सीन ले जाने के लिए कहा है या फिर ड्रैगन पहुंचाएगा। यहां इस बात का जिक्र करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि चीन ने पाकिस्तान को जब टीका देने का ऐलान किया था, तब उसने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से कहा था कि अपना विमान लाओ और यहां से वैक्सीन लेकर जाओ। चीन ने पाकिस्तान को अपने खर्चे पर वैक्सीन ले जाने को कहा था।

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भारत के कोरोना टीके को लेकर अब दुनियाभर के देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत से कोविड टीका हासिल करने में विभिन्न देशों को रूचि है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की कोविड से लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की प्रतिबद्धता के मुताबिक भारत विभिन्न देशों को वैक्सीन दे रहा है। हमने अपने पड़ोस में सबसे पहले वैक्सीन उपलब्ध कराने का दायित्व निभाया है और इसके अलावा अन्य देशों को भी आपूर्ति की है। प्रवक्ता ने बताया कि 20 जनवरी 2021 के बाद से भारत ने अपने पड़ोसी देशों और विस्तारित पड़ोसी भूटान (1.5 लाख), मालदीव (1 लाख), नेपाल (10 लाख), बांग्लादेश (20 लाख), म्यांमार (15 लाख) मॉरीशस (1 लाख), सेशेल्स (50,000), श्रीलंका (5 लाख) और बहरीन (1 लाख) सहित करीब 55 लाख खुराकें उपलब्ध कराई हैं। ये आपूर्ति इन देशों के अनुरोधों पर आधारित हैं। प्रवक्ता ने बताया कि अगले कुछ दिनों में हम ओमान (1 लाख), करिकॉम देशों (5 लाख), निकारागुआ (2 लाख) और प्रशांत द्वीप राज्यों (2 लाख) को और अधिक मात्रा में उपहार देने की योजना बना रहे हैं।

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ब्राजील, मोरक्को और बांग्लादेश में वाणिज्यिक निर्यात भी हुआ है। वाणिज्यिक आधार पर आगे की आपूर्ति सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, मंगोलिया, आदि में होने की संभावना है, हम अफ्रीका को 1 करोड़ (10 मिलियन) खुराक और संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को 10 लाख (1 मिलियन) की आपूर्ति गावी की कोवैक्स सुविधा के तहत करने जा रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा, हमारी बाहरी आपूर्ति, चाहे वह उपहार के रूप में हो या व्यावसायिक आधार पर हो ये घरेलू उपलब्धता, लाइसेंसिंग मुद्दों और नियामक अनुमोदन पर आधारित होती है।

कोरोना वैक्सीन मिलने के बाद नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने पीएम मोदी की प्रशंसा की, साथ में ये भी कहा कि मैं भारत की नरेंद्र मोदी सरकार और भारत के लोगों को इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। अनेक देशों को कोविड-19 के टीके भेंट करने वाले भारत की अमेरिका ने भी प्रशंसा की है। अमेरिका ने भारत को एक ‘सच्चा मित्र’ बताते हुए कहा कि वह वैश्विक समुदाय की मदद करने के लिए अपने दवा क्षेत्र का उपयोग कर रहा है। भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ कहा जाता है और विश्व भर में बनने वाले टीकों में से 60 फीसदी यहां बनते हैं।

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इस कदम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि अच्छी हो रही है, हालांकि, इसके बीच एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि सरकार निजी बाजारों में वैक्सीन की बिक्री को अनुमति क्यों नहीं दे रही है। किरण मजूमदार शॉ जैसे कई दिग्गज स्वास्थ्य एवं फार्मा विशेषज्ञों ने सरकार से दवा पेश करने के लिए निजी कंपनियों को अनुमति देने की अपील की है, क्योंकि भारत में क्षमता की कोई कमी नहीं है और सरकार के सभी टारगेट को पूरा किया जा रहा है।

इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कोरोना वायरस संकट से लड़ाई के लिए तथा पूरी मानवता की भलाई के लिए भारत की टीका उत्पादन एवं विरतण क्षमता का उपयोग किया जाएगा। इधर सदन की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष ग्रेगरी मीक्स ने भी महामारी से लड़ाई में पड़ोसी देशों की मदद करने पर भारत की सराहना की। अमेरिका के मीडिया ने भी भारत के इस फैसले की प्रशंसा की, वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत कोरोना वायरस टीके की लाखों खुराकें कूटनीति के तहत दे रहा है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कोरोना वायरस महामारी से लड़ाई में वैश्विक समुदाय की मदद के लिए भारत के प्रयासों की सराहना करने पर विदेश विभाग का आभार जताया।

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गौरतलब है कि भारत में दो वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है, पहले चरण में 3 करोड़ हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को केंद्र सरकार द्वार मुफ्त में वैक्सीन दी जा रही है। 16 जनवरी से दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो चुकी है, देश भर में अब तक 26 लाख से अधिक हेल्थ वर्कर को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसके साथ ही विश्व के कई देशों को वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है। केंद्र सरकार इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता मान रही है।