नाबालिगों द्वारा डोपिंग: विशेषज्ञ ने कहा, अधिक परीक्षण के लिए नाडा को अधिक बजट की जरूरत |

नाबालिगों द्वारा डोपिंग: विशेषज्ञ ने कहा, अधिक परीक्षण के लिए नाडा को अधिक बजट की जरूरत

नाबालिगों द्वारा डोपिंग: विशेषज्ञ ने कहा, अधिक परीक्षण के लिए नाडा को अधिक बजट की जरूरत

:   Modified Date:  May 14, 2024 / 01:58 PM IST, Published Date : May 14, 2024/1:58 pm IST

(फिलेम दीपक सिंह)

भुवनेश्वर, 14 मई (भाषा) प्रसिद्ध खेल चिकित्सा विशेषज्ञ पीएसएम चंद्रन का मानना है कि भारत में नाबालिगों द्वारा डोपिंग उल्लंघन के मामलों में वृद्धि चिंता का विषय है और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए बढ़े हुए बजट की आवश्यकता है क्योंकि इसे पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होगा।

वर्तमान में यहां कलिंग स्टेडियम में खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में खेल और व्यायाम विज्ञान के प्रमुख की भूमिका निभा रहे चंद्रन ने कहा कि डोपिंग के हानिकारक प्रभावों का प्रचार करने के लिए मशहूर हस्तियों को जोड़ना युवाओं तक पहुंचने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

चंद्रन ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘सबसे पहले यह स्पष्ट कर दूं कि सभी खिलाड़ियों में से डोपिंग करने वाले ढाई से तीन प्रतिशत ही हैं, बाकी 97 से 97.5 प्रतिशत बेदाग हैं। खेलों में डोपिंग हमेशा रहेगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने सर्वश्रेष्ठ तरीके से इसे नियंत्रण में रख सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नाबालिग भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं इसलिए उनमें से कुछ डोपिंग करेंगे, चाहे जो भी कारण हो। यह (नाबालिगों द्वारा डोपिंग) चिंता का कारण है लेकिन यह कुछ अप्रत्याशित नहीं है। वयस्क खिलाड़ियों की तरह वे (नाबालिग खिलाड़ी) भी सोचते हैं पदक मिलने पर उन्हें (शैक्षणिक संस्थानों में) प्रवेश मिल सकता है या नौकरी मिल सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा (नाडा के लिए) धन की कमी के कारण जूनियर स्तर पर डोप परीक्षण न्यूनतम हैं और वे शायद सोच रहे होंगे कि पकड़े जाने की संभावना कम है।’’

विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) द्वारा जनवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में नाबालिगों के पॉजिटिव डोपिंग मामलों के 10 साल के वैश्विक अध्ययन में भारत को दूसरा सबसे खराब देश बताया गया था। इस सूची में रूस शीर्ष पर है और उसके बाद भारत और चीन हैं।

पिछले महीने वाडा की एक अन्य रिपोर्ट में 2022 के आंकड़ों के आधार पर 2000 से अधिक नमूनों का परीक्षण करने वाले देशों के बीच भारत में असफल डोप परीक्षणों का प्रतिशत सबसे अधिक दर्ज किया गया था।

भारत ने इस अवधि के दौरान 3865 नमूनों (मूत्र और रक्त के मिलाकर) का परीक्षण किया जिनमें से 125 प्रतिकूल नतीजे आए। यह नमूनों का 3.2 प्रतिशत था।

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) में सलाहकार और इंडियन प्रीमियर लीग में प्रमुख डोप नियंत्रण अधिकारी के रूप में काम कर चुके चंद्रन ने कहा कि जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं में परीक्षण करने में धन की कमी एक बड़ी बाधा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका खर्चा 25,000 रुपये प्रति परीक्षण है, इसमें किट की लागत, परिवहन और प्रयोगशाला शुल्क के साथ-साथ कूरियर शुल्क भी शामिल है। लेकिन पैसा कहां है और आप उतने ही बजट से कितने परीक्षण कर सकते हैं, ये पूछे जाने वाले सवाल हैं।’’

चंद्रन ने कहा, ‘‘सीमित संसाधनों के साथ नाडा कितने परीक्षण कर सकता है? क्या वे सभी खेलों के लिए परीक्षण कर सकते हैं? इसलिए नाडा को भारोत्तोलन और एथलेटिक्स (जहां डोपिंग अधिक होती है) जैसे खेलों पर ध्यान देना होगा और अन्य को छोड़ना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि प्रयोगशालाओं में भी परीक्षण की सीमाएं हैं, वे इतना अधिक भार नहीं ले सकते।’’

इस साल के अंतरिम बजट में सरकार ने नाडा को 22.30 करोड़ रुपये आवंटित किए जो 2023-24 की 21.73 करोड़ रुपये की राशि से मामूली वृद्धि है।

चंद्रन ने यह भी कहा कि डोपिंग के नैतिक पहलू पर प्रकाश डालने से ज्यादा ध्यान युवाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके हानिकारक प्रभावों पर होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इस पर प्रकाश डाला जाना चाहिए। आपने नैतिक पक्ष और खेल भावना के उल्लंघन के बारे में बात की। इससे कोई फायदा नहीं होगा।’’

भाषा सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)