चेन्नई, 26 अप्रैल ( भाषा ) मद्रास उच्च न्यायालय ने एक एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखते हुए मंगलवार को कहा कि राजनीतिज्ञों और अन्य को नहीं बल्कि सिर्फ खिलाड़ियों को ही खेल संघों और महासंघों का पदाधिकारी होना चाहिये ।
उच्च न्यायालय की पहली पीछ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा जिसमें कहा गया था कि खेल संघों का प्रमुख खिलाड़ी ही होना चाहिये ।
मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति डी भारत चक्रवर्ती की पीठ ने तमिलनाडु ओलंपिक संघ की रिट याचिका को खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश के फैसले को कायम रखा ।
पूरी तरह योग्य होने के बावजूद 2017 से 2018 के बीच राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिये चुनी नहीं गई चक्का फेंक चैम्पियन एस नित्या की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आर महादेवन ने 19 जनवरी को तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि ऐसा कानूनी खाका तैयार किया जाये जिससे राज्य के हर खेल संघ, क्लब और राष्ट्रीय खेल महासंघ की प्रदेश ईकाइयों के कामकाज का नियमन हो सके ।
उन्होंने यह भी कहा था कि हर खेल संघ और एनएसएफ की प्रदेश ईकाई का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव खिलाड़ी ही होना चाहिये । इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि किसी भी खेल ईकाई, संगठन या एनएसएफ के 75 प्रतिशत सदस्य खेलों के क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति होने चाहिये जिन्हें मतदान का अधिकार हो ।
इसके साथ ही खिलाड़ियों का चयन ऐसी चयन समिति करे जिसके सदस्य सिर्फ खिलाड़ी हों । खेल ईकाई को आर्थिक सहायता देने की एवज में किसी व्यक्ति को पद नहीं दिया जाना चाहिये ।
इस फैसले के खिलाफ तमिलनाडु ओलंपिक संघ ने रिट याचिका दायर की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया ।
भाषा मोना पंत
पंत
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