(अमनप्रीत सिंह)
गोंडा, 12 नवंबर (भाषा) भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) शुक्रवार को फैसला किया कि अगले ओलंपिक के लिये भारतीय टीम को अंतिम रूप देने से पहले ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को ट्रायल्स में भाग लेने के लिये कहा जा सकता है जिससे शीर्ष खिलाड़ी नाखुश हैं।
डब्ल्यूएफआई ने अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में इसके साथ ही प्रस्ताव पारित किया कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में किसी भी टीम को एक से अधिक टीम उतारने की अनुमति नहीं दी जाएगी जिससे हरियाणा को नुकसान होगा।
इससे पहले तक डब्ल्यूएफआई कोटा हासिल करने वाले खिलाड़ियों को ओलंपिक टीम में बनाये रखता था।
महासंघ के एक अधिकारी ने एजीएम के बाद पीटीआई से कहा, ‘‘कभी-कभी खिलाड़ी चोट छिपाता है और चोटिल होने या फॉर्म में नहीं होने के बावजूद ओलंपिक में जाता है। इससे पदक की संभावनाओं को झटका लगता है। इसके साथ ही एक बार कोटा हासिल हो जाने पर उस भार वर्ग के अन्य पहलवानों का उत्साह खत्म हो जाता है।’’
एक शीर्ष एथलीट ने नाम नहीं बताने की शर्त पर इस कदम को अनुचित करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में मनोबल गिराने वाला है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। कोटा केवल उसे हासिल करने वाले के पास ही रहना चाहिए था।’’
हालांकि सभी खिलाड़ियों के लिये ट्रायल्स में उपस्थित होना अनिवार्य नहीं होगा और यदि ट्रायल्स होता हैं तो कोटा विजेता को शुरुआती मुकाबलों में नहीं उतारा जाएगा। वह इन ट्रायल्स के विजेता से भिड़ेगा। यदि कोटा विजेता हार जाता है तो उसे अपना कोटा बनाये रखने के लिये उसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक और मुकाबला लड़ने का मौका दिया जाएगा।
टीमों की भागीदारी के संबंध में डब्ल्यूएफआई के फैसला हरियाणा, रेलवे और सेना की टीमों के लिये झटका है क्योंकि इन टीमों से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेते हैं। वर्तमान चैंपियनशिप में इन तीन टीमों तथा दिल्ली ने ए और बी टीमें उतारी हैं।
भाषा
पंत आनन्द
आनन्द
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